राखी के धागों को कलाई भेजे हैं भइया तुमको बहुत बधाई भेजे हैं रक्षाबंधन पर्व नहीं बस तारों का रक्षाबंधन पर्व न बस उपहारों का भाई-बहन का प्रेम-पर्व रक्षाबंघन सच बोलूँ तो राजा है त्यौहारों का तार-तार होते रिश्तों के… Read More
कविता : भाई बहिन का बंधन
भाई बहिन का बंधन, जिसको कहते रक्षाबंधन। स्नेह प्यार से बंधा रहे, भाई बहिन का रिश्ता। इसलिए तो आता है, हर साल ये रक्षा बंधन। बहिना सबसे मिलती है, मायके में इसदिन आकर। दिल सबके खिल उठाते है, बहिना से… Read More
कविता : बहन का प्यार है राखी
भाई का लाढ है राखी, बहन का प्यार है राखी!! लड़ना और फिर झकड़ना, बहन को खुश रखना है राखी!! कहि भाई का बलिदान है, तो बहन का गौरव है राखी!! बॉर्डर पर जो तैनात है सिपाही, उस बहन का… Read More
जन्मदिवस विशेष : गीतकार शकील बदायूँनी
हिन्दी सिनेमा में “चौदहवीं का चांद हो या आफ़ताब हो”… (चौदहवीं का चांद) या फिर “प्यार किया तो डरना क्या”…(मुग़ले आज़म) जैसे गीतों के जरिये अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले मशहूर शायर और गीतकार “शकील बदायूँनी” जी का आज जन्म… Read More
कविता : वो मेरी गुड़िया
याद है आज भी बचपन का अफसाना वो बाजार मे सजा गुड़ियों का तराना।। चाहती थी मैं वो आंख मिचती गुड़िया पर पापा की जेब मे न थी पैसे की पुड़िया।। मन मे ख्वाहिश दबा के भी थी मुस्कुराई पापा… Read More
कविता : रक्षाबंधन
हर सावन में आती राखी। बहिना से मिलवाती राखी। बहिन-भाई का अनोखा रिश्ता। बना रहे ये बंधन हमेशा।। जो भूले से भी ना भूले। बचपन की वो सब यादे। बहिन-भाई का अटूट प्रेम। सब कुछ याद दिलाती राखी।। भाई बहिन… Read More
ग़ज़ल : मुस्कान बदल लेता है
कभी नाम बदल लेता है, कभी काम बदल लेता है, सब कुछ पाने की ललक में, वो ईमान बदल लेता है। इस बेसब्र आदमी को नहीं है किसी पे भी भरोसा, गर न होती है चाहत पूरी, तो भगवान् बदल लेता है। है कैसा आदमी कि रखता है बस हड़पने की चाहत, गर मिल जाए कुछ मुफ्त में, तो आन बदल लेता है। इतने रंग तो कभी गिरगिट भी नहीं बदल सकता है, यारों जितने कि हर कदम पर, ये इंसान बदल लेता है। कमाल का हुनर हासिल है मुखौटे बदलने का इसको, पड़ते ही अपना मतलब, झट से ज़ुबान बदल लेता है। “मिश्र” काटता है बड़े ही ढंग से ये अपनों की जड़ों को, सामने दिखा के भारी ग़म, पीछे मुस्कान बदल लेता है। +160
भोजपुरी भाषी और समाज के लोग में एक खास तरह का गीत “कजरी”
मिर्जापुर, बनारस से लेकर समूचे पूर्वांचल और बिहार के कुछ हिस्सों में जो भोजपुरी भाषी और समाज के लोग है उनमें एक खास तरह के गीत की परम्परा देखने को मिलती है, जिसे कजरी कहा जाता और यह विशेषतः सावन… Read More
ऐ यार सुन यारी तेरी मुझे जिंदगी से भी प्यारी है
हम मां, पिता, भाई व बहन सहित अन्य रिश्तेदार नहीं चुन सकते हैं। दोस्त ही हैं जो हम अपने जिंदगी के सफर में चुनते हैं। ऐसे में किसी व्यक्ति के मित्र कैसे हैं उससे भी उसकी शख़्सियत का अंदाजा मिलता… Read More
ग़ज़ल : कहने को आदमी हैं
महंगाई बढ़ रही है, संबंध घट रहे हैं वो हम से कट रहे हैं, हम उन से कट रहे हैं इतिहास हो गए अब आँगन के खेल सारे क्वार्टर के दायरे में, अब घर सिमट रहे हैं महफिल सजी-सजी पर,… Read More