अब तो कर दो प्रभुजी किरपा, मानव-धर्म को सजा सकूँ । धर्म कभी ना कट्टर होवे , मानव-मानव से बचा सकूँ । अब तो कर दो…… पीड़ित भी हूँ ,कुंठित भी हूँ, मन भी मेरा सुलग रहा । मानव-मानव को,… Read More

अब तो कर दो प्रभुजी किरपा, मानव-धर्म को सजा सकूँ । धर्म कभी ना कट्टर होवे , मानव-मानव से बचा सकूँ । अब तो कर दो…… पीड़ित भी हूँ ,कुंठित भी हूँ, मन भी मेरा सुलग रहा । मानव-मानव को,… Read More
संसार-सागर सिर्फ समय-सराय , परमात्मा से बिछड़, आत्मा यहां आय। पार्थिव तत्वों को उसने ही गूँथकर, घररूपी नश्वर शरीर बनाया । हाथ खुले रखकर है जाना , फिर क्यों सोचे..? कि क्या तूने कमाया ..? पाने से ज्यादा तू खोकर… Read More
चाह नहीं, गुरु द्रोण सा बनकर, खातिर अर्जुन, एकलव्य मिटाऊँ। इतनी सी बस, चाह जरूर कि, बन चाणक्य, कई चन्द्र खिलाऊँ।। चाह नहीं, वो देवों की सी, सुबह शाम पूजा जाऊँ। इतनी सी बस, चाह जरूर कि, मानव का मैं,… Read More
‘अजस्र’ किरपा गणेश की, सारों सगरे काम । वाणी, मात-पिता सहित, लियो राम का नाम॥ ‘अजस्र’ शक्ति उस देवी से, सीता सत का नाम । कलम-मसी करते रहें, वीणापाणि प्रणाम ॥ ‘अजस्र’ बली तुम पवन से, शंकर-सुवन प्रणाम । ‘सवा-शतक’… Read More
धधक उठी ज्वाला जौहर की राजस्थान कहानी थी । रतन सिंह मन-प्रेम पद्मिनी ,वो मेवाड़ की रानी थी। गन्धर्वराज घर की किलकारी,चम्पावती की मन ज्योति। सिंहलद्वीप की राजरागिनी , स्त्री की थी उच्चतम कोटि। सुंदरता तन में भी अनुपम ,मन… Read More
छोड़ो शर्म को ,मुखर बनो तुम , बोलो हृदय के सब उद्गार । आसमान भी लगे फिर छोटा , उन्मुक्त उड़ोगे जब पंख परवाज । पनडुब्बे से तुम बन जाओ । अथाह सागर में गोत लगाओ । मोती ज्ञान के… Read More
दिवस बदलते, माह बदलते, बदले कैलेंडर, बदले कई वार । चलो मनाएं ,नई सुबह पर, नए वर्ष का ,नया त्योहार । धरा वही ,आसमां वही है, लगे नया ,भव-पारावार । वर्ष नया , कैलेंडर बदला, सोच भी बदलें, अब की… Read More
मन-मग रहत , बस एक उलझन । हदय बस तब , चयन उस भगवन । जतन जब सरजन , अब अनवरत अर अनवरत । जग-जन चमन सद, बढ़त बस बरकत । ईश ,असलम , धन-धन ,सत-मदद । इस , उस… Read More
कोई कहता हैप्पी न्यू *Year* । कोई कहे अपना नहीँ *Dear* । अपने मन में क्यों हो *Fear* । कैलेंडर बदले है *Gear* । नया साल है बिल्कुल *Near* । दस्तक door पर करता वो *Hear* । दुखियों के हम… Read More
तू स्वर की देवी, माँ वीणापाणि, शुभ्रकमल सिंहासना । ममतामयी मूरत ,बुद्धि की सूरत , प्रेम पूरण प्रति प्रेरणा । ‘अजस्र ‘ तेरे चरणों में बैठा , कर जोड़े, करता माँ वंदना , ये वंदना ,ये वंदना । तू स्वर… Read More