हिंदी है तो सब मुमकिन है : प्रो. रमा

मैम सबसे पहले तो आपको हिंदी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ …! प्रश्न: बतौर हिंदी शिक्षिका हिंदी दिवस को आप किस रूप में देखती हैं? प्रो. रमा: हिंदी दिवस की आप सबको भी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। बतौर हिंदी शिक्षिका अगर मुझसे पूछा… Read More

जन्मदिवस पर विशेष : आम आदमी की आवाज़ गीतकार ‘शैलेंद्र’

हिंदी सिनेमा में एक संवेदनशील गीतकार के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले महान गीतकार शैलेन्द्र जी का आज (30 अगस्त,1923-14 दिसंबर 1966) जन्मदिवस है। इनका पूरा नाम “शंकरदास केसरीलाल ‘शैलेन्द्र’ था’। ‘होठों पर सच्चाई रहती है, दिल में… Read More

खेल दिवस पर विशेष : खेल पर बनी फिल्में

आज राष्ट्रीय खेल दिवस है। हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के सम्मान में उनकी जयंती (29 अगस्त 1905- 3 दिसम्बर, 1979) के अवसर पर पूरे देश में इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी सिनेमा… Read More

खेल दिवस पर विशेष : फिट इंडिया हिट इंडिया

ना हारना जरूरी है, ना जीतना जरूरी है,जीवन एक खेल है, इसे खेलना जरूरी है। ‘हॉकी के जादूगर’ के नाम से प्रसिद्ध भारत के महान हॉकी खिलाड़ी ‘मेजर ध्यानचंद सिंह’ के जन्मदिन 29 अगस्त पर पूरा देश इन्हें सम्मान देने… Read More

जन्मदिवस पर विशेष : ‘हरिशंकर परसाई’, ‘तुलसीदास’, ‘गिरिजाकुमार माथुर’

हिंदी साहित्य के तीन महान विभूतियों का आज (22 अगस्त) जन्मदिवस है। जिनमें से एक हिंदी साहित्य में व्यंग्य की पहचान और मेरे प्रिय लेखक ‘हरिशंकर परसाई’ जी हैं जिसने ‘भोलाराम का जीव’, ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ आदि व्यंग्य लिखा… Read More

जन्मदिन पर विशेष : “पर्सनल से सवाल करती हैं” गुलज़ार के गीतों की भावनाएं

भूमंडलीकरण ऐसी विचारधारा है जो भारत में पश्चिम से उधार ली गयी थी। उसका प्रचार प्रसार यह ‘लॉलीपाप’ दिखाकर किया गया कि अब भारत के लोग भी विदेशी युवाओं की तरह ‘पिज्जा बर्गर’ और ‘मैगी’ खा सकेंगे और चमचमाती कारों… Read More

मूवी रिव्यू : बाटला हाउस ‘ए हिडेन स्टोरी’

19 सितंबर 2008 में दिल्ली के ओखला इलाके में बाटला हाउस मकान नंबर L-18 में हुए एनकाउंटर की घटना की अनकही अनछुई स्टोरी से रूबरू कराती है ये फिल्म। जहां एक ओर दिल्ली पुलिस की अपनी सच्चाई है तो वहीं… Read More

मीना कुमारी : कोई होता जिसको अपना कह लेते…

आंखों के जरिये अपने अभिनय से सबके दिल में उतर जाने वाली हिंदी सिनेमा की ट्रेजडी क्वीन महज़बीन बानों यानि कि मीना कुमारी (1 अगस्त 1933- 31 मार्च 1972)  का आज जन्मदिन है। इनके जीवन की बड़ी ही अजीब दास्तां… Read More

‘विज्ञापन मतलब उपभोक्तावाद’

“क़ानूनी तौर पर झूठ बोलने को विज्ञापन कहते हैं”- एच.जी.वेल्स फिल्मों के बाद जिसने सपनों और इंसानी रिश्तों, जज़बातों के साथ साथ उसके भावनाओं को सबसे ज्यादा कैश कराने का काम किया है उसमें विज्ञापनों की एक बहुत बड़ी दुनिया… Read More

शशि कपूर को ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’

जिस प्रकार बिहारी ने अपने एक मात्र रचना ‘बिहारी सतसई’ से हिंदी साहित्य में जो मुकाम हासिल किया है, ठीक वैसे ही “मेरे पास माँ है” इस कालजयी संवाद के साथ हिंदी सिनेमा में शशि कपूर ने अपनी दमदार उपस्थिति… Read More