हिंदी साहित्य के तीन महान विभूतियों का आज (22 अगस्त) जन्मदिवस है। जिनमें से एक हिंदी साहित्य में व्यंग्य की पहचान और मेरे प्रिय लेखक ‘हरिशंकर परसाई’ जी हैं जिसने ‘भोलाराम का जीव’, ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ आदि व्यंग्य लिखा तो दूसरे हिंदू धर्म के आस्था के प्रतीक भगवान श्री राम के अनन्य भक्त तुलसीदास जी हैं जिनके द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ धार्मिक ग्रंथ है। वहीं तीसरे ‘हम होंगे कामयाब’, एवं 15 अगस्त आदि जैसे गीत के गीतकार ‘गिरिजाकुमार माथुर’ जी हैं । अत्यंत संक्षेप में जानते हैं इन सभी महान विभूतियों को-

हरिशंकर परसाई (1922 – 1995)
प्रमुख रचनाएं-

कहानी–संग्रह: हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे, भोलाराम का जीव।
उपन्यास- रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज, ज्वाला और जल।
संस्मरण- तिरछी रेखाएँ।
लेख संग्रह- तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेइमानी की परत, अपनी अपनी बीमारी, प्रेमचन्द के फटे जूते, माटी कहे कुम्हार से, काग भगोड़ा, आवारा भीड़ के खतरे, ऐसा भी सोचा जाता है, वैष्णव की फिसलन, पगडण्डियों का जमाना, शिकायत मुझे भी है, सदाचार का ताबीज, विकलांग श्रद्धा का दौर, तुलसीदास चंदन घिसैं, हम एक उम्र से वाकिफ हैं।
सम्मान- विकलांग श्रद्धा का दौर के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।

तुलसीदास (1532-1623)
प्रमुख कृतियाँ-
रामचरितमानस, कवितावली, विनय-पत्रिका, विनयावली, दोहावली, गीतावली, पार्वती-मंगल, रामलला नहछू, बरवै रामायण, आदि।

गिरिजा कुमार माथुर (1919 -1994)
हम होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब एक दिन 
ओ हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास,
हम होंगे कामयाब एक दिन॥
प्रमुख कृतियाँ- मंजीर (1941), नाश और निर्माण (1946), धूप के धान (1954), जनमक़ैद (1957), मुझे और अभी कहना है, शिलापंख चमकीले (नाटक-संग्र, 1961), जो बंध नहीं सका, मैं वक़्त के हूँ सामने, भीतरी नदी की यात्रा, छाया मत छूना मन।
सम्मान- शलाका सम्मान एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।


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