आंखों के जरिये अपने अभिनय से सबके दिल में उतर जाने वाली हिंदी सिनेमा की ट्रेजडी क्वीन महज़बीन बानों यानि कि मीना कुमारी (1 अगस्त 1933- 31 मार्च 1972)  का आज जन्मदिन है। इनके जीवन की बड़ी ही अजीब दास्तां है। जो कहाँ शुरू कहाँ खत्म हुई ये अब भी सबके लिए एक अबूझ पहेली है। पर्दे पर ट्रेजडी लाइफ जीने वाली इस अदाकारा ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनकी असल लाइफ भी इतनी ट्रेजडी भरी होगी। न जाओ सईंया छुड़ा के बईयाँ, कसम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी फ़िल्म साहिब बीवी और गुलाम के इस गाने का भाव उनकी पर्सनल लाईफ पर इतना हावी हो जायेगा। क्या पता था। तीन तलाक और हलाला की सबसे बड़ी गवाह मीना कुमारी के बारे में कहा जाता है कि गुस्से में आकर जब इनके पति कमाल अमरोही ने इन्हें तीन तलाक दे दिया था। फिर बाद में जब पछतावा हुआ तब फिर से शादी करने के लिए हलाला की शर्त रखी गई तो मीना कुमारी ने कहा था कि “मुझमें और वैश्या में फिर क्या फर्क रह गया”। दुखांत फिल्मों की इस बेहतरीन अदाकारा ने अपने रियल लाईफ़ में भी बहुत से दुख झेलें। ही मैन धर्मेन्द्र से लेकर ऐसे बहुत से अनछूए पहलू हैं जो इनके लाइफ के गहरे जख्मों को और भी ज्यादा सस्पेंस में रखते हैं। अपने जीवन की तन्हाई और ख़ालीपन को गीत/गज़ल/कविताओं व शेरो-शायरी से भरने की कोशिश की। जिसमें दर्द को बखूबी उकेरा। जिसको बाद में संकलित करके गुलज़ार ने ‘तन्हा चांद’ नाम से भी प्रकाशित करवाया। उनके संग्रह से कुछ नज़्में आपके सामने हैं। जिसको पढ़कर हम उनके जीवन की घुटन को महसूस कर सकते हैं।

कुछ बेहतरीन नज़्में –

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली

जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली

 रिमझिम-रिमझिम बूँदों में, ज़हर भी है और अमृत भी

 रिमझिम-रिमझिम बूँदों में, ज़हर भी है और अमृत भी

आँखें हँस दीं दिल रोया, यह अच्छी बरसात मिली 

आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता

जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता

हंसी थमी है इन आंखों में यूं नमी की तरह

चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,

दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा

ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,

जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा

न इन्तज़ार, न आहट, न तमन्ना, न उमीद 

ज़िन्दगी है कि यूँ बेहिस हुई जाती है 

हाँ, बात कुछ और थी, कुछ और ही बात हो गई 

और आँख ही आँख में तमाम रात हो गई 

प्यास जलते हुए काँटों की बुझाई होगी, 

रिसते पानी को हथेली पे सजाया होगा

मिल गया होगा अगर कोई सुनहरी पत्थर, 

अपना टूटा हुआ दिल याद तो आया होगा

ख़ून के छींटे कहीं पोंछ न लें रेह्रों से, 

किस ने वीराने को गुलज़ार बनाया होगा

     मीना कुमारी शायद ऐसी पहली अभिनेत्री होंगी जो रील से ज्यादा अपने रियल लाइफ के लिए हमेशा ही चर्चें में रही। अच्छों को बुरा साबित करना, दुनिया की पुरानी आदत है। जिसकी शिकार मीना जी भी हुईं। जीवन के अंतिम दिनों में खुद से लड़ते हुए शराब की लत इन्हें लग गई। ये लत ऐसी बुरी लगी इन्हें कि इसी कारण से मात्र 38 वर्ष में ही इनकी मृत्यु हो गई। हिंदी सिनेमा में काजल, साहब बीवी और गुलाम, बैजू बावरा, परिणीता, दो बीघा जमीन, मेरे अपने, पाकीज़ा आदि बेहतरीन फिल्मों के लिए ये सदा याद की जाती रहेंगी। उनकी फिल्मों से कुछ पसंदीदा गीत

  • चलते चलते यूं ही कोई मिल गया था
  • ये मेरा दीवानापन है
  • इन्हीं लोगों ने
  • छू लेने दो नाज़ुक होठों
  • चलो दिलदार चलो चंद के पार चलो
  • हम इंतज़ार करेंगे
  • मौसम है आशिक़ाना
  • रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ
  • दिल एक मंदिर है
  • अपलम चपलम
  • रुक जा रात ठहर जा ऋ चंदा
  • मेरे भैया मेरे चंदा
  • ज्योति कलश छलके
  • न जाओ सइयाँ छुड़ा के
  • दिल अपना और प्रीत पराई
  • मोहे भूल गए
  • ये चार दिन बहार के
  • तुम सबको छोड़कर
  • वो जो मिलते थे कभी

कुछ प्रमुख फिल्में-

    लैदरफेस, एक ही भूल, बच्चों का खेल, सनम, मदहोश, लक्ष्मी नारायण, हनुमान पाताल विजय, अलादीन और जादुई चिराग, तमाशा, बैजू बावरा, परिणीता, फुटपाथ, बंदिश, दो बीघा ज़मीन, दाना पानी, दायरा, नौलखा हार, बैजू बावरा, चांदनी चौक, परिणीता, आज़ाद, मेम साहब, शारदा, यहूदी, सहारा, फरिश्ता, सट्टा बाजार, शरारत, जिंदगी और ख्वाब, मधु, दिल अपना प्रीत पराई, चिराग कहां रोशनी कहां, बहाना, कोहिनूर, साहिब बीबी और ग़ुलाम, आरती, मैं चुप रहुंगी, दिल एक मंदिर, ग़ज़ल, चित्रलेखा, बेनज़ीर, मैं भी लड़की हूँ, काजल, पूर्णिमा, मझली दीदी, बहु बेगम, फूल और पत्थर, नूरजहाँ, अभिलाषा, जवाब, सात फेरे, पाक़ीज़ा, मेरे अपने, दुश्मन।

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One thought on “मीना कुमारी : कोई होता जिसको अपना कह लेते…”

  1. अच्छों को बुरा साबित करना
    दुनिया की पुरानी आदत है
    इस मै को मुबारक चीज़ समझ
    माना की बहुत बदनाम है ये, छू …

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