प्रसंग : प्रेम

“उनको बता दो की दुनिया कई हिस्सों में विभक्त है, उनके सिद्धान्तों की प्रयोगिकता हर जगह नही चल सकती… “”रात हर जगह गहरी होती है और जब कभी आसमान पर तारे छिटकते है तो सबका मन मचलता है प्रेमी की… Read More

वर्ल्ड फोटोग्राफी डे 2019

तस्वीरें बहुत कुछ कह जाती है बिना कहे लेकिन जब इन्हीं तस्वीरों पर कुछ बात कहनी हो तो शब्द मानों कम से रह जाते हैं। फोटोग्राफी विश्व को एक नायाब तोहफ़ा है। इसकी शुरुआत कब, कहाँ और कैसे हुई आज… Read More

जन्मदिन पर विशेष : “पर्सनल से सवाल करती हैं” गुलज़ार के गीतों की भावनाएं

भूमंडलीकरण ऐसी विचारधारा है जो भारत में पश्चिम से उधार ली गयी थी। उसका प्रचार प्रसार यह ‘लॉलीपाप’ दिखाकर किया गया कि अब भारत के लोग भी विदेशी युवाओं की तरह ‘पिज्जा बर्गर’ और ‘मैगी’ खा सकेंगे और चमचमाती कारों… Read More

भाषा, साहित्य और समाज

साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है। साहित्य एक ऐसा दर्पण है जो वक्त के सापेक्ष अपनी छवि को परिवर्तित करता रहता है। एक लेखक या साहित्यकार अपनी कलम की तूलिका से श्वेत पत्रों पर जीवन के रंग बिखेर देता… Read More

देवरिया से इज़रायल तक का सफ़र

मेरा नाम नवीन मणि त्रिपाठी है। हाल ही में मैंने इजराइल के बेन गुरियान विश्वविद्यालय (Ben-Gurion University of the Negev) से पी-एच.डी. कंप्लीट की है। अभी फिलहाल Particle Scientist के तौर पर बेल्जियम में काम कर रहा हूँ। देवरिया जिला… Read More

हादसे: स्त्री मुक्ति के संदर्भ में

हिंदी साहित्य में स्त्री विमर्श के अंतर्गत समय–समय पर स्त्री जीवन की नई समस्याओं और नए मुद्दों पर तार्किक ढंग से चर्चा की जा रही है। साहित्य की अन्य विधाओं में जहाँ लेखक इन परिवर्तनों को आत्मसात कर प्रवक्ता के… Read More

मूवी रिव्यू : बाटला हाउस ‘ए हिडेन स्टोरी’

19 सितंबर 2008 में दिल्ली के ओखला इलाके में बाटला हाउस मकान नंबर L-18 में हुए एनकाउंटर की घटना की अनकही अनछुई स्टोरी से रूबरू कराती है ये फिल्म। जहां एक ओर दिल्ली पुलिस की अपनी सच्चाई है तो वहीं… Read More

हम सबको आज़ादी मुबारक़

दुनिया की सबसे बड़ी आबादी की अदला बदली, लाखों लोगों के विस्थापन और लाखों निर्दोषों का लहू बहाने के बाद 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि को हमें मिली आज़ादी की खुशबू कुछ अधिक प्रीतिकर होती अगर विभाजन का दंश हमें… Read More

व्यंग्य : सैंया ले गयी जिया तेरी पहली नज़र

गीत के बोल आज के समय में उन धनकुबेरों पर बिल्कुल सही बैठता है, जो अपनों को आज कौन, क्या, कब लेकर चला जायेगा कह नही सकते। कोई किसी के मन को ले गया तो वहाँ भी राजनीति थी, अब… Read More

शोध लेख : स्वतंत्रता पूर्व हिंदी सिनेमा में नृत्य

मूक दौर में नृत्य हिन्दुस्तानी सिनेमा में नृत्य का समावेश कैसे हुआ और किस प्रकार किन पड़ावों से गुज़रते हुए उसने अपना सफ़र तय किया आदि की विस्तार से चर्चा करने से पूर्व यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि भारत… Read More