मेरा नाम नवीन मणि त्रिपाठी है। हाल ही में मैंने इजराइल के बेन गुरियान विश्वविद्यालय (Ben-Gurion University of the Negev) से पी-एच.डी. कंप्लीट की है। अभी फिलहाल Particle Scientist के तौर पर बेल्जियम में काम कर रहा हूँ। देवरिया जिला (उत्तर प्रदेश) के बैतालपुर कस्बा के एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ। मेरे पिता श्री अवलेश मणि त्रिपाठी एक शिक्षक और माँ श्रीमती विजय लक्ष्मी मणि त्रिपाठी एक कुशल गृहिणी हैं। मैं दो भाइयों में छोटा हूँ। मेरी प्राथमिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर, बैतालपुर और प्रेस्टिज ट्यूटोरियल, देवरिया से हुई है। उसके बाद मैंने आईआईएलएम कॉलेज (UPTU), ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक (B.Tech.) और थापर विश्वविद्यालय, पटियाला (पंजाब) से थर्मल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर (M.E.) किया। अध्ययन के दौरान मैंने भारतीय रेलवे वर्कशाप, गोरखपुर और नेशनल थर्मल पावर कर्पोरेशन (एनटीपीसी), बदरपुर से इंटर्नशिप किया। मेरे स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने वित्त पोषित सहभागिता (GATE fellowship) प्रदान की।
स्नातक की डिग्री के बाद, मुझे दो साल के लिए लेक्चरर और सहायक प्रोफेसर के रूप में आईआईएलएम में पढ़ाने का मौका मिला। इस अवधि में मैंने कॉलेज स्तर पर कई अतिरिक्त गतिविधियों (जैसे वार्षिक उत्सव, प्रयोगशाला संगठन, आदि) का आयोजन भी किया। स्नातकोत्तर के बाद मैंने छः महीनों के लिए  लवली प्रोफेसनल विश्वविद्यालय, पंजाब में बतौर सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्य किया।
अनुसंधान के प्रति मेरी दिलचस्पी ने मूर्त रुप तब लिया जब हमने स्नातकोत्तर के दौरान अपने प्रोफेसर (डॉ एस. एस. मलिक) और साथीयों के साथ मिलकर थापर विश्वविद्यालय में बल्क सालिड हैंडलिंग (Bulk Solid Handling) प्रयोगशाला विकसित की। यह प्रोजैक्ट डॉ एस. एस. मल्लिक को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) एवं वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित था। वर्तमान में यह प्रयोगशाला कई औद्योगिक मुद्दों को हल कर रही है और उद्योग तथा अनुसंधान के साथ अच्छी सहभागिता प्रदान कर रही है। स्नातकोत्तर के दौरान, थापर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एस. एस. मलिक द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (Conference) PGBSIA-2013 की आयोजक समिति का हिस्सा होने का भी मौका मिला।
एल्सेवियर (Elsevier) के प्रतिष्ठित जर्नल में वर्ष 2015 में हमारा पहला शोध पत्र प्रकाशित हुआ। स्नातकोत्तर डिग्री पूरी होने के बाद, मुझे अपने शोध को आगे बढ़ाने और पीएचडी डिग्री के लिए इज़राइल से प्रतिष्ठित क्रिएटमन फेलोशिप प्राप्त करने का सौभाग्य मिला। मैंने अपना पी-एच.डी. शोध बल्क मटेरियल हैंडलिंग के क्षेत्र में योगदान कर रहे दो विदित वैज्ञानिक प्रोफेसर (डा0) हेम कालमन (Haim Kalman) और प्रोफेसर (डा0) आवी लेवी (Avi Levy) के सानिध्य में संपन्न किया। मेरा शोध का विषय “न्युमैटिक और हाइड्रोलिक कनवेइंग में बेन्ड प्रेशर ड्रॉप का अन्वेषण करना (Investigation of Bend pressure drop in pneumatic and hydraulic conveying)” रहा है। इस शोध के अन्तर्गत हम लोग बेन्ड प्रेशर ड्रॉप पता करने की नई विधि पर काम किया है। इस पद्धति का उपयोग ऊर्जा उत्पादन, दवा उद्योग और सामग्री प्रबंधन के क्षेत्र में बहुतायत से है। इसके द्वारा हम न्युमैटिक और हाइड्रोलिक कनवेइंग के पाइपलाइन संरचना और उसके विविध मानदंडों का समाधान हो सकेगा। इस अवधि में हमने अपने शोध के कार्यो को विभिन्न देशों में प्रस्तुत किया है, जैसे कि नॉर्वे, चेक गणराज्य, अमरीका आदि। विविध मुद्दो पर हमारे विस्तृत शोध पत्र अलग-अलग वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हो चुके हैं। जिसका विस्तृत विवरण निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है-(https://scholar.google.co.il/citations?user=-evz07EAAAAJ&hl=en&oi=ao)
शोध के साथ साथ इज़राइल में मैं कई भारतीय आयोजनो (होली, दिपावली, आदि) का समन्वयक भी रहा हूं। भारत के सम्माननीय पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी और वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रथम इज़राइल यात्रा के दौरान उनसे मुलाकात करके भारत वर्ष में शिक्षा तथा शोध के विविध आयामों पर विचार विमर्श करने का सुअवसर भी मिला।

“तात्कालिक राष्ट्रपति महोदय श्री प्रणव मुखर्जी के साथ इजराइल में भारतीय कम्युनिटी मीटिंग के दौरान (बाएं से दूसरा): सितम्बर 2015”
“वर्तमान प्रधानमंत्री महोदय श्री नरेंद्र मोदी जी के साथ इजराइल में पारस्परिक विचार-विमर्श के दौरान: जुलाई 2017” (पिछली पंक्ति में दाएँ से पहला)

वर्तमान समय में मैं बेल्जियम (यूरोप) में GranuTools कंपनी में बतौर वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हूँ। यह कंपनी Powder Flow Cahrecterization के विभिन्न इंस्ट्रूमेंट्स को बनाती है। आज का समय एकीकृत विज्ञान के लिए काम करने का है, जिसमें विभिन्न धाराओं जैसे कि यांत्रिकी का रासायनिक विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान आदि के साथ समन्वय होना चाहिए। हम सभी को हमेशा कुछ नया सीखने की कोशिश करते रहना चाहिए। हमारा सर्वमुखी प्रगति केवल नए विचारों और सतत सीखने की क्षमता पर निर्भर करता है। जो लोग विज्ञान में रुचि रखते हैं उन्हें मेरा यही सुझाव है कि कठिनाइयां चाहे जिस तरह से आती हैं, हमें हार नहीं मानना चाहिए। सफल होने के लिए नजरिया और दृढ़ संकल्प आवश्यक है। यह हमेशा महत्वपूर्ण होता है कि हम किसी भी चुनौती को कैसे देख और सोच रहे हैं। हमें अनुसंधान के लिये सही समस्याओं को चुनना होगा, जिसका सम्बंध उद्योग से हो, तभी यह दुनिया में देखा एवं सराहा जाएगा। मेरा मानना है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में  युवा लोगों के लिए महान अवसर हैं। जरूरत है तो बस सही नजरिए की।

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3 thoughts on “देवरिया से इज़रायल तक का सफ़र”

  1. आपकी उपलब्धियां निश्चित रूप से काफी प्रेरित करने वाली हैं, नवीन जी।
    मैंने आपके आत्मवृत्त को पूरा पढ़ा और पढ़कर लगा कि कैसे जमीन से उठकर अपने इच्छाशक्ति और मेहनत के बल पर आसमान को भी छुआ जा सकता है।
    आप देवरिया से हैं और गोरखपुर से जुड़े रहे हैं यह जानकर भी खुशी हुई।मैं इस समय गोरखपुर के ही केन्द्रीय विद्यालय (वायुसेना स्थल) में पी.जी.टी.पद पर सेवारत हूँ। इसतरह आपकी कहानी बिल्कुल अपने जमीन की कहानी लगी।

    आपकी उपलब्धियों के लिए आपतक मेरी शुभकामनाएं पहुँचे।

  2. हमें गर्व है आप की उपलब्धी पर, आप निश्चय ही बहुतो के लिए प्रेरणा बनेगे

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