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सुशांत की आत्महत्या के बरक्स बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद और गैंगबाजी पर विमर्श

बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद कोई नई बात नहीं है। जब से फिल्में बननी शुरू हुई तो इस उद्योग में भी भाई-भतीजावाद ने धीरे-धीरे जड़े जमानी शुरू की आज तो यह वट वृक्षों का रूप ले चुका है। अब उदाहरण के रूप… Read More

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कविता : क्या दोष है मेरा

मेरे विचारों में शब्दों में कौन सा विष है जो हानि करता है दूसरों की मैं न्याय की बात करता हूं दलित की बात लिखता हूं अग्रसर हूँ लोक कल्याण की दिशा में समर्पित लम्बी यात्रा निरंतर श्रम हर दिन… Read More

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कविता : सत्य ये भी है

जन्म मरण का अब, समीकरण बदल गया। इंसान इंसान से दूर, अब होता जा रहा है। जीने की राह देखकर, मरने की बात करने लगे। फर्ज इंसानियत का भूलकर, समिति अपनो तक हो गए।। न दुआ काम आ रही है,… Read More

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कविता : हम सब चलेंगे

मर्म नहीं, खुले में कर्म की बात करेंगे विश्व चेतना के साथ अपनी शक्ति को जोड़कर हम भी कुछ रचेंगे पीड़ा, दुःख, दर्द की असमानता के पोल खोलेंगे इन गाथाओं के मूल में स्वार्थ की क्रीड़ा को हम जग जाहिर… Read More

Are you a goddess or a witch?

तुम देवी हो या चुड़ैल?

मै मानता हूं तेरा गुनाहगार हूं. तुम आज वर्षो बाद मिल रही हों. तुम्हें मुझसे कई सारी शिकायते हो रही है कि- “मैं कहा करता था कि तुम मेरी लिए देवी हो. मै तुम्हारें सिवाय किसी की इबादत कर ही… Read More

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कविता : माँ तेरी गोद में

वो जन्नत सा सुख कहाँ इस जग में , है जो माँ तेरी गोद में …. जब से मैने आँखें खोली , पाया खुद को तेरी झोली में , इस मखमली कोमल बिछावन में , वो चैन की नींद कहाँ… Read More

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ग़ज़ल : आदमी की औकात बताना भी ज़रूरी था

यूं कुदरत को रंग दिखाना भी ज़रूरी था ! आदमी की औकात बताना भी ज़रूरी था ! खुद को ही समझ बैठा था वो दूसरा खुदा, उसको असलियत दिखाना भी ज़रूरी था ! किस कदर सताया है इस ज़माने ने… Read More

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ग़ज़ल : यारो क्यों जान अपनी लुटाने पे तुले हो

यारो क्यों जान अपनी, लुटाने पे तुले हो क्यों अपने साथ सबको, मिटाने पे तुले हो तुम खूब जानते हो करोना की विभीषिका, फिर क्यों इसकी आफतें, बढ़ाने पे तुले हो न खेलो खेल ऐसा कि बन आये जान पर,… Read More