पुस्तक समीक्षा : धूप-छांव-एक प्रेमपरक पूर्ण अनुभूति है

पुस्तक शीर्षक : धूप-छाँव लेखक : उदय राज वर्मा ‘उदय’ मूल्य : 250 रूपये प्रकाशक : द इंडियन वर्डस्मिथ, पंचकुला ‘धूप-छांव’ काव्य संग्रह के रचयिता कविवर उदयराज वर्मा ‘उदय’ का जन्म मल्लिक मोहम्मद जायसी की धरा अमेठी (उत्तरप्रदेश) में होलिका… Read More

पुस्तक समीक्षा : पुरुष तन में फँसा मेरा नारी मन

“आत्मा की अधूरी प्यास है” – पुरुष तन में फँसा मेरा नारी मन प्रत्येक भगवान और देवी का हिंदू धर्म में गहरा महत्व है जो प्राचीन शास्त्रों में परिलक्षित होता है।  हाल के दिनों में, हिंदुओं के लिए, देवी लक्ष्मी… Read More

वेदबुक से फेसबुक तक स्त्री

स्त्री सम्मान के प्रतीक विश्व महिला दिवस के अवसर पर विश्व की समस्त मातृ शक्ति को नमन करते हुए प्रस्तुत है मेरी पुस्तक  “वेदबुक से फेसबुक तक स्त्री” का मेरी बात अंश :           #मेरी_बात जिस समय… Read More

समीक्षा : स्वप्नपाश

सेक्सुअल भरम (bhrm) के अतिरेक और रक्तसनी छातियों वाली गुलनाज फरीबा की कहानी -स्वप्नपाश कल पूरे एक दिन में मनीषा कुलश्रेष्ठ का उपन्यास स्वप्नपाश पढ़ा। मैं मनीषा  मैम से 2 कारणों से प्रभावित हूँ, एक उनके प्रकृति प्रेम और दूसरा… Read More

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पुस्तक समीक्षा – कुछ नीति, कुछ राजनीति

पुस्तक – कुछ नीति कुछ राजनीति लेखक – भवानीप्रसाद मिश्र पुस्तक समीक्षा – मयंक रविकान्त अग्निहोत्री भारतीय साहित्यिक इतिहास में श्रेष्ठ रचनाकारो की गिनती में भवानीप्रसाद मिश्र जी को सम्मिलित किया जाता है। कुछ नीति कुछ राजनीति पुस्तक उनके श्रेष्ठ… Read More

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नाटक: नज़ीरनामा

मरहूम शायर नज़ीर अकबराबादी के जीवन पर आधारित यह नाटक बहुत ही सुंदर एवं सुव्यवस्थित ढंग से लिखा गया है, जिसे लिखा है वरिष्ठ रंगकर्मी एवं कवियित्री बिशना चौहान मैम ने। एक सफल नाटक वही कहलाता है जिसे इस प्रकार… Read More

book need kuy raat bhar nahi aati

पुस्तक समीक्षा: नींद क्यों रात भर नही आती

उपन्यास का शीर्षक नींद क्यों रात भर नही आती, ग़ालिब की रचना “कोई उम्मीद बर नही आती, कोई सूरत नज़र नही आती, मौत का एक दिन मुअय्यन है, नींद क्यों रात भर नही आती” से उद्धृत है। ‌यह उपन्यास इंसान… Read More

पुस्तक समीक्षा : अतृप्त आकांक्षाओं की अट्टालिका पर खड़ी ‘मध्यांतर’

हिंदी साहित्य जगत में एक समय के बाद कविताएँ लिखना लगभग खत्म सा हो गया था। या यों कहें कि कविताएँ तो लिखी जाती रहीं मगर स्तरीय लेखन का उनमें अभाव था। साहित्यकार अब न तो दरबारी कवि थे और… Read More

पुस्तक समीक्षा : ‘सरहदें’ तोड़ता है कई तरह की सरहदें

कवि हमेशा सीमाएँ तोड़ता है, वे चाहें जिस भी प्रकार की हों— राजनीतिक, समाजिक, धार्मिक अथवा आर्थिक। मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज के बिना उसका काम नहीं चलता, इसलिए वह सामाजिक नियमों में आसानी से बँध जाता है। यहाँ… Read More