saho-moview-review

शोध लेख : नाटक का सौंदर्यशास्त्र और उसके विभिन्न तत्व

सौंदर्यशास्त्र स्पष्ट रूप से दो शब्द सौन्दर्य और शास्त्र के मेल से बना है। वस्तुतः सौन्दर्य है क्या? किसी भी वस्तु का वह गुण या कारण है जो प्रेक्षक को आनंद प्रदान करता है, सौन्दर्य कहलाता है। शास्त्र का सीधा… Read More

शोध लेख : कवि केदारनाथ सिंह

मैं अपना नन्हा गुलाब कहाँ रोप दूँ…!!! घनानंद कहते हैं ‘लोग हैं लागि कवित्त बनावत/मोहिं तो मेरे कवित्त बनावत!’ लगभग यही स्थिति आधुनिक हिंदी कवियों में केदारनाथ सिंह की रही। उनकी कविताओं में कभी यह नहीं दिखा कि कवि ने कविता का… Read More

शोध लेख : साहित्य की सिनेमाई पटकथा रूपांतरण की समस्याएँ

‘साहित्य और सिनेमा का संबंध एक अच्छे अथवा बुरे पड़ोसी, मित्र या संबंधी की तरह एक दूसरे पर निर्भर है। यह कहना जायज होगा कि दोनों में प्रेम संबंध है ।”[1] – गुलज़ार साहित्य और सिनेमा दोनों ही ऐसे माध्यम… Read More

शोध लेख : भीष्म साहनी का नाट्य साहित्य सृजन और संदर्भ

प्रगतिशील चेतना संपन्न रचनात्मक भीष्म साहनी के नाटक, हिन्दी नाटकों के संसार में अपनी खास पहचान रखते हैं। यों उनके नाटकों में विद्यमान द्वंद्वात्मक वितान उनके कथा साहित्य में भी पूरी तौर पर समाया है। यही कारण है कि उनकी… Read More

Amritlal Nagar

शोध लेख : अमृतलाल नागर की दृष्टि में ‘ सत्तावनी क्रांति’

1857 का समय भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है। ये ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह था। यह विद्रोह दो वर्षों तक भारत के अवध क्षेत्रों में चला। इस ‘सत्तावनी क्रांति’ का आरंभ छावनी क्षेत्रों में छोटी-छोटी… Read More

शोध लेख : आदिवासी पहचान और संस्कृति

अपने जातीय रूप की खोज करना, अपनी जातीय संस्कृति की मूल्यवान विरासत को पहचान और उस पर गर्व करना तथा अपनी जातीय संस्कृति के विकास के लिए अपने राष्ट्र को संगठित करने का संघर्ष चलाना। यह सब मानव समाज में… Read More

nakkashidar cabinet

शोध लेख : नारी संघर्ष की गाथा ‘नक्काशीदार केबिनेट’

प्रवासी साहित्यकारों में सुधा ओम ढींगरा का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। सुधा ओम ढींगरा का साहित्य दो संस्कृतियों पर आधारित होने के कारण उनके साहित्य की मूल संवेदना प्रवासी न होकर ‘अन्त: सांस्कृतिक’ पर आधारित हैं। भारतीय… Read More

gurunanak dev ji

शोध लेख : श्रमशक्ति के पुजारी श्री गुरु नानक देव

मेहनत वह अनमोल कुंजी है, जो भाग्य के बंद कपाट खोल देती है। यह राजा को रंक और दुर्बल मनुष्य को सबल बना देती है। यदि यह कहा जाए कि श्रम ही जीवन है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। गीता… Read More

baagh kedarnath singh

शोध लेख : समकालीन मनुष्य और उसकी सभ्यता का अंदरूनी बाघ

केदारनाथ सिंह हिंदी कविता की मुख्यधारा के महत्त्वपूर्ण कवियों में से एक थे। ‘बाघ’ उनके द्वारा रचित एक लम्बी कविता-श्रृंखला है, जिसमें छोटे-बड़े 21 खंड है। ‘बाघ’ कविता दो काल खंडों में लिखी गयी है, इसके पहले रचना-खंड में 16… Read More

शोध लेख : शरद शिंह के उपन्यास ‘कस्बाई सिमोन’ में चित्रित नारी-विमर्श के विविध आयाम

शरद सिंह हिन्दी-साहित्य में एक सशक्त स्त्री-विमर्शकार के रूप में उभर कर सामने आये हैं। इन्होंने साहित्य की प्रत्येक विधाओं में अपनी लेखनी चलाई हैं, जिसमें उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक संग्रह, काव्य संग्रह, जीवनी के साथ पत्रकारिता का रूप भी… Read More