swatantrata

लेख : स्वतंत्रता से स्वछंदता तक

स्वतंत्रता इस संसार में सबको प्रिय है। हर जीव इसी आस और यतन में रहता है कि वह स्वतंत्र रहे। अधिकतर यह देखा जाता है कि स्वतंत्रता की चाह जब अधिक हो जाती है तो वह उसके ऊपर हावी हो… Read More

sachai

लेख : पुजारिन

साहित्य को बचपन युवा और प्रौढ़ कि जीवन यात्रा के रूप में समाज राष्ट्र में भाष भाव के समन्वय और और सामाजिक परिपेक्ष्य में रिश्तों में उसके महत्व को समझने में कहानीकार डॉ पालरिया का कोई जोड़ नहीं है डस्टबिन… Read More

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लेख : रिश्तों का इंद्र धनुष

समाज में रिश्तों के बनते बिगड़ते आयाम और उसमे बिभिन्न मानवीय सम्बदनाओं को आज के स्पष्ट और भौतिकतवादी युग में उतार चढ़ाव कि मार्मिकता और कठोरता के सापेक्ष एक प्रयोगिग सत्य सन्देश यह कहानी देती है जहा व्यक्ति का स्वार्थ… Read More

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व्यंग्य : हिँडी

मोहेश कुमारे भारत सरकार को बरसों से दुहते आये हैं , पूरे देश के हर आलीशान हिंदी सम्मेलन में इनकी उपस्थिति उसी तरह अनिवार्य होती है जैसे नाई और पंडित के बिना सनातन विवाह सुचारू रूप से सम्पन्न नहीं हो… Read More

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लेख : खूबसूरत मन

खूबसूरत तन महत्व्पूर्ण है या खूबसूरत मन मूल्यवान खूबसूरत मन ईश्वर द्वारा प्रदत्त विरासत है जो प्राणी को सांसों धड़कन के शारीरिक अस्तित्व के अहंकार से  अभिभूत कर आचरण कि संस्कृति संस्कार से बिमुख कर जीवन को भौतिकता के चकाचौध… Read More

ramraj

लेख : नई चेतना का उदय

साथियों आज कल सत्ता और समय परिवर्तन का दौर चल रहा है। इसी कारण से, में आप से कुछ कहना चाह रहा हूँ। क्या हम सब पहले जैसे भारत का निर्माण करना चाहते है? जिसमे अमन चैन और शांति स्थापित… Read More

sam

लेख : सांझ ढले

1- “जब सांझ ढले तुम आती हो “ जब सांझ ढले तुम आती हो आती है तब इक मंद बयार छेड़े गए हों जैसे मन के तार झंकृत होता है ज्यों अंतर्मन जैसे दूर कहीं रहा हो कीर्तन जैसे कोई… Read More

prakati

लेख : पर्यावरण, मुँह के छाले और बुंदेलखंडी नुख्से

पिछले 4-5 दिनों से हमें बेजोड़ गर्मी से मुँह में बहुत ज्यादा छाले हो गए हैं क्योंकि आजकल हम संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के प्रोजेक्ट पर काम कर रहें हैं और भयंकर गर्मी में भी झाँसी जिले के गाँवों और… Read More

vairus

लेख : कोरोना का बढ़ता प्रकोप

पिछले साल लाकडाउन के बाद देश ने दूसरे देशों की तुलना में अपने आपको संभाल लिया था। इस बार कोरोना संक्रमण की गति फिर से तेज हो गई है। अब पिछले वर्ष 6 माह में जितने मरीज मिले , उतने… Read More

nari

लेख : नारी, माया या देवी

नवरात्रि में दुर्गा के रूप में पूजी जाने वाली शक्ति रूपा स्त्री आज अधिकांश रूप में बेबस और लाचार नजर आती है। नारी का रूप बदला है, किन्तु नारी के प्रति संकीर्ण अवधारणाएं आज भी नहीं बदली है। आज भी… Read More