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मूवी रिव्यू : ‘रुख’

एक ऐसी फिल्म जो आपको एक अलग अनुभव प्रदान करती है, यह भी बताती है कि जीवन कितना कठिन हो सकता है लेकिन अगर आप सामना करने के लिए तैयार हैं तो सब आसान हो जाता है। एक ऐसी थ्रिलर… Read More

भारतीय सिनेमा का मंत्र ‘ऊँ प्रेमाय स्वाहा’

“संस्काराद् द्विज उच्च्यते।” संस्कारों से मनुष्य का निर्माण होता है और अच्छे संस्कार मनुष्य को मनुष्यता सिखाते हैं। समयांतराल पर ये संस्कार मनुष्य समाज, साहित्य और सिनेमा से ग्रहण करता है। हर युग के अपने संस्कार होते हैं। किंतु कुछ… Read More

तुलसी साहित्यिक संस्था, बदायूँ द्वारा भाषण प्रतियोगिता का आयोजन

तुलसी साहित्यिक संस्था के सचिव पवन शंखधार ने बताया कि संस्था मे  100 आवेदन अब तक इंटर  और स्नातक के छात्र-छात्राओं के आ चुके हैं। प्रतियोगिता का शीर्षक लोकतंत्र और अनुच्छेद 370 रखा गया है, जिसके बारे मे सभी बच्चे… Read More

हिंदी दिवस : तुलसी साहित्यिक एवं समाजिक संस्था, बदायूँ

हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में – तुलसी साहित्यिक एवं समाजिक संस्था बदायूँ के द्वारा सैयद बाड़े में काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता श्री जगदीश प्रसाद शर्मा ने की। मुख्य अतिथि श्री सुरेन्द्र नाज साहब शायर रहें। … Read More

डीडी नेशनल पर देखिए फिल्म पंचलाइट

झारखंड के फिल्म निर्देशक प्रेम प्रकाश मोदी के निर्देशन में बनी फिल्म पंचलैट रविवार को शाम छह बजे डीडी नेशनल पर दिखाई जाएगी। साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणु की प्रसिद्ध कहानी पंचलाइट पर बनी फिल्म पंचलैट का निर्माण फन टाइम एंटरटेनमेंट… Read More

व्यंग्य : हैप्पी हिन्दी डे

हे कूल डूड ऑफ़ हिंदी, टुडे इज द बर्थडे ऑफ़ हिंदी, ईट्स आवर मदर टँग एन प्राइड आलसो, सो लेटस सेलेब्रेट। यू आर कॉर्डियाली इनवाटेड।लेट्स मीट एट 8 पीएम, इंडीड देअर विल भी 8 पीएम, वेन्यू ब्लैक डॉग हैंग आउट… Read More

तुझसे मुहब्बत का इक़रार करता हूँ…

मैं तुझसे मोहब्बत का इक़रार करता हूँ। क्या कहती हो जानम, मैं तुझसे प्यार करता हूँ। निगाहें ना झुकाना, नजरें न चुराना । आ जाओ सनम मैं तेरा इंतजार करता हूँ। आँखों की सूरत अब दिल में बसाता हूँ। जिसका डर… Read More

कविता : मेरे गाँव की धरती

मेरे गाँव की धरती, रूठी-एकांत सी  बैठी है। नित्य होते देख गाँव से शहर को पलायन, कुछ ठगी-ठगी, हैरान-परेशान सी बैठी है। लहलहाती खेतो में, निरस-उदास सी बैठी है। मुस्कुराती खिली कालियो में, बेबस-मुरझाई सी बैठी है। कल-कल नदी की… Read More

हम सब कामयाब हो जाएँगे…

क्लेश बाटेंगें तो, क्लेश ही पाएँगे। गर आनंद बाटेंगें तो, आनंद ही पाएँगे।। जिस दिन इस रहस्यमयी, प्रसंग को जान जाएँगे। उस दिन हम सभी, कामयाब हो जाएँगे !!1!! मिथ्या ज्ञान बाटेंगें तो, अंधकार हीं पाएँगे। गर सत्ज्ञान बाटेंगें तो,… Read More

‘16 सितम्बर’- अपने जन्मदिवस के अवसर पर, कुछ पुरानी/कुछ नई कविताओं के साथ

(१ )  दीपक की तरह खुद जल गये, धुंआ ही नैनों का श्रृंगार बना। खुद जल रौशन हमें किया, बदले में हमसे कुछ भी न लिया !! दिनांक ज्ञात नहीं कब लिखा था ? (वर्ष -२००२ ) (२) मिल रहे… Read More