हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में –
तुलसी साहित्यिक एवं समाजिक संस्था बदायूँ के द्वारा सैयद बाड़े में काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता श्री जगदीश प्रसाद शर्मा ने की। मुख्य अतिथि श्री सुरेन्द्र नाज साहब शायर रहें। सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
उसके बाद शायर ने अहमद अमजदी ने पढ़ा-
खुदा का शुक्र सगी बहनो के अहमद दरम्या हूं मैं,
कभी हिंदी जुबां हूं मै कभी उर्दू जुबां हूं मै!
सुरेन्द्र नाज –
बुजुर्गो का जो कहना मान लेते
तो हम अपना पराया जान लेते
मिलेगा क्या तुम्हे कॉमिक्स पढकर
कभी गीता कभी कुरान लेते! !
अजीत सुभाषित जी ने पढ़ा –
हिंदी के मंदिर बने हिन्दी हो भगवान्
हिंदी की कविता लगे सब को मन्त्र समान
षटवदन शंखधार ने पढ़ा –
हमारा मान है हिंदी
हमारी शान है हिंदी
दिलो को जोडने का भी
यही वरदान है हिंदी
शैलेंद्र मिश्रा ने पढ़ा-
जरा सोचो ये हौसला करके
मिलेगा क्या अब फैसला करके
चुभी जो कोई बात गर दिल मे
चली जायेगी फासला करके
संचालक पवन शंखधार ने पढा –
कोई उर्दू को पूजेगा
कोई अंग्रेजी पूजेगा
मगर मैं तो हिंदी को ही पूजूंगा
पारस जुनेजा ने पढ़ा-
खुदा से खुद को आज मै तो मांग बैठा हूँ
भरम मिटता है दिल का या इबादत पूरी होती है
संचालन उज्ज्वल वशिष्ठ ने किया !
अचिन मासूम और अंकित कुमार ने भी काव्य पाठ किया। अंत मे अध्यापक शुभम वशिष्ठ ने सभी आगंतुको का हार्दिक अभिनंदन किया और आभार व्यक्त किया।