एक ऐसी फिल्म जो आपको एक अलग अनुभव प्रदान करती है, यह भी बताती है कि जीवन कितना कठिन हो सकता है लेकिन अगर आप सामना करने के लिए तैयार हैं तो सब आसान हो जाता है। एक ऐसी थ्रिलर फिल्म जो धीमी रफ्तार से चलती है पर कहानी कहने में सक्षम है। नवागन्तुक अभिनेता आदर्श गौरव का अभिनय बेहतरीन है। उन्होंने अपना पूरा सहयोग फिल्म को बेहतर बनाने के लिए दिया है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक काफी सटीक बैठता है और फिल्म का एक गीत “खिड़की” इस फिल्म को बूस्ट करता है। मनोज बाजपेयी साहब ने फिल्म में अपनी अच्छी छाप छोड़ी है कई बार फिल्म जब बिखरने लगती है तब मनोज बाजपेयी और कुमुद मिश्र जैसे बेहतरीन अभिनेताओं ने फिल्म को संभाला है। फिल्म संवेदनशील दर्शको के लिए है अन्य मसाला फिल्मो के शौक़ीन लोगो को यह फिल्म बकवास लगेगी। फिल्म बेहद धीमी गति से मंजिल की ओर बढ़ती है जो बड़ी खामी के रूप में समझ आती है। स्क्रीनप्ले एवं निर्देशन औसत दर्जे का है, पर कथानक अच्छा लगा और यह फिल्म इसी लिए ही देखी जानी चाहिए। एक फिल्म जब अनुभवहीन निर्देशक के हाथ लग जाती है तो वह नीरस बन जाती है। कई बार सामान्य सी कहानी को इस ढंग से प्रस्तुत किया जाता है कि वो बार बार देखी जाती है और कई बार बेहतरीन कहानी को बकवास ढंग से प्रस्तुत कर उसकी महत्ता को कम कर दिया जाता है। यह फिल्म एक शार्ट फिल्म के रूप में यदि प्रस्तुत की जाती तो पचाई जा सकती थी। यूट्यूब, नेटफ्लिक्स आदि में इसे रिलीज कर सकते थे। कई बार लगा की फिल्म की लंबाई को बढ़ाने का जबरन प्रयास किया गया है जिससे फिल्म पिट जाती है। मनोज बाजपेयी जी ने अपनी जो छाप छोड़ी है वह अद्भुत है। कुल मिलाकर संवेदनशील, मर्डर मिस्ट्री पर बनी इस फिल्म को अपनी स्वेच्छानुसार देखा जा सकता है। #Rukh