द जोया फैक्टर बनाने वाले अभिषेक शर्मा ‘तेरे बिन लादेन’ और ‘शौकीन’ जैसी हलकी-फुलकी फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। उन्होंने न्यूक्लियर टेस्ट की सच्ची घटना पर आधारित ‘पोखरण’ का निर्देशन भी किया था। इस बार ‘द जोया फैक्टर‘ के जरिए एक बार फिर से वह लाइट कॉमिडी के साथ आए हैं।
फ़िल्म की कहानी कुछ इस तरह है कि 1983 में भारत ने अपना पहला वर्ल्ड कप जीता और इसी दिन एक क्रिकेट प्रेमी परिवार में लड़की पैदा हुई जोया। अब जोया यानी सोनम कपूर को उसका परिवार इंडियन क्रिकेट टीम के लिए लकी चार्ममानने लगता है। एक समय ऐसा आता है कि वह लड़की जिस भी मैच को देखती है उसे इंडिया जीतता है। यहाँ आकर फ़िल्म में अंधविश्वाससा नजर आने लगता है। उन्हें लगता है कि इंडिया के वर्ल्ड कप जीतने में जोया की पैदाइश का हाथ है। उसके बाद से गली का क्रिकेट हो या जोया की जॉब का मामला हर जगह जोया का लक फैक्टर ऐन वक्त पर उसकी डूबती नैया को पार लगा जाता है। विज्ञापन के क्षेत्र में काम करने वाली जोया को जब इंडियन क्रिकेट टीम का फोटो शूट करने भेजा जाता है तो वहाँ जोया और भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान निखिल खोडा (दुलकर सलमान) का पहली नजर में एक-दूसरे के प्रति आकर्षण बन जाता है। अगले दिन नाश्ते की टेबल पर भारतीय क्रिकेट टीम के साथ नाश्ता करते हुए जब जोया सभी को यह बताती है कि उसके घर वाले क्रिकेट के लिए उसे लकी चार्म मानते हैं, तो टीम के कई खिलाड़ी इस बात से प्रभावित नजर आते हैं। उसी दिन जब इंडिया अविश्वसनीय तरीके से मैच जीत जाती है, तो टीम का यह भरोसा पक्का हो जाता है कि जोया क्रिकेट के मामले में लकी है। दूसरी ओर जोया और निखिल का प्यार आगे बढ़ता है और उसी के साथ बढ़ती है, भारतीय क्रिकेट टीम का जोया पर क्रिकेट के लिए लकी चार्म होने का यकीन। अब बार बार वर्ल्ड कप में जोया का लकी चार्म काम आता है या निखिल का अपनी टीम पर यकीन? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
अनुजा चौहान की किताब पर आधारित इस फिल्म को निर्देशक अभिषेक कपूर ने फर्स्ट हाफ में काफी हल्का रखा है। जो दर्शकों को मनोरंजित तो करती है, मगर हिज्जों में। मध्यांतर से पहले फिल्म की गति काफी सुस्त है। सेकंड हाफ में जोया फैक्टर के ऑन होते ही फिल्म अपनी रफ्तार पकड़ती है, मगर जिस तरह से निर्देशक ने जोया के लक फैक्टर से इंडियन टीम को जिताते दिखाया है, वह बचकाना लगता है। कमेंट्रेटरों की कमेंट्री हंसाती तो है, मगर आप सोच में पड़ जाते हैं कि इस क्या इस तरह की कमेंट्री क्रिकेट में संभव है। निर्देशक ने मनोरंजन की डोर को थामे रखने के लिए क्रिकेट के इर्द-गिर्द बुनी गयी इस फिल्म में काफी सिनेमैटिक लिबर्टी ली है।
फिल्म का मुख्य आकर्षण दुलकर सलमान साबित हुए हैं। ‘कारवां’ के बाद यह उनकी दूसरी फिल्म है और इसमें वह न केवल क्यूट और हैंडसम लगे हैं। वैसे आज बॉक्स ऑफिस पर तीन फिल्मों का तगड़ा क्लैश देखने को मिला है। एक ही दिन में  संजय दत्त की ‘प्रस्थानम’ और सनी देओल के बेटे करण देओल की ‘पल पल दिल के पास’ भी रिलीज हो रही है।
द जोया फैक्टर फ़िल्म के वन लाइनर्स काफी फनी हैं। अभिनय के मामले में फिल्म में दोनों स्टार्स की एक्टिंग खूबसूरत लगती है। अभिषेक का निर्देशन भी औसत से ऊपर कहा जा सकता है।
फिल्म का लेखन काफी रोचक है जिस तरह से अभिषेक ने स्क्रिप्ट को लिखा है पूरी फिल्म आपको गुदगुदाती रहती है। खासतौर पर कॉमेंटेटर के संवादों में दर्शकों को एक अलग तरह की लिखावट आकर्षित करती है। कुल मिलाकर जोया फैक्टर कोई महान फिल्म तो नहीं मगर एक हल्की-फुल्की मनोरंजक फिल्म जरूर है जिसे आप एक बार देख सकते हैं।
अपनी रेटिंग : 2.5 स्टार
सिनेमा – द जोया फैक्टर
सिनेमा प्रकार – रोमांटिक कॉमेडी
कलाकार – दुलकर सलमान, सोनम कपूर, अंगद बेदी, संजय कपूर, सिकंदर खेर
निर्देशक – अभिषेक शर्मा
अवधि – 2 घंटे 16 मिनट

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