जन्मदिवस पर विशेष : ‘हरिशंकर परसाई’, ‘तुलसीदास’, ‘गिरिजाकुमार माथुर’

हिंदी साहित्य के तीन महान विभूतियों का आज (22 अगस्त) जन्मदिवस है। जिनमें से एक हिंदी साहित्य में व्यंग्य की पहचान और मेरे प्रिय लेखक ‘हरिशंकर परसाई’ जी हैं जिसने ‘भोलाराम का जीव’, ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ आदि व्यंग्य लिखा… Read More

प्रसंग : प्रेम

“उनको बता दो की दुनिया कई हिस्सों में विभक्त है, उनके सिद्धान्तों की प्रयोगिकता हर जगह नही चल सकती… “”रात हर जगह गहरी होती है और जब कभी आसमान पर तारे छिटकते है तो सबका मन मचलता है प्रेमी की… Read More

हादसे: स्त्री मुक्ति के संदर्भ में

हिंदी साहित्य में स्त्री विमर्श के अंतर्गत समय–समय पर स्त्री जीवन की नई समस्याओं और नए मुद्दों पर तार्किक ढंग से चर्चा की जा रही है। साहित्य की अन्य विधाओं में जहाँ लेखक इन परिवर्तनों को आत्मसात कर प्रवक्ता के… Read More

व्यंग्य : सैंया ले गयी जिया तेरी पहली नज़र

गीत के बोल आज के समय में उन धनकुबेरों पर बिल्कुल सही बैठता है, जो अपनों को आज कौन, क्या, कब लेकर चला जायेगा कह नही सकते। कोई किसी के मन को ले गया तो वहाँ भी राजनीति थी, अब… Read More

व्यंग्य : डाल डाल की दाल

“दाल रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ” बहुत बहुत वर्षों से ये वाक्य दोहरा कर सो जाने वाले भारतीयों का ये कहना अब नयी और मध्य वय की पीढ़ी को रास नहीं आ रहा है। दाल की वैसे डाल नहीं… Read More

कहानी : गंगा-मैया

गाँव के लगभग दस लोगों से पूछने और पूरे गाँव की तंग गलियों में भटकने के बाद आखिरकार वह खपरैल का मकान मिल ही गया. घर के ठीक सामने ही एक बूढी औरत अलाव जलाने के लिए पुआल में थोड़ी… Read More

गीत : तुझसे दूर भला कैसे जाऊं मैं

तुझसे दूर भला कैसे जाऊं मैंदिल का हाल किसे सुनाऊं मैं तू हर्फ़ दर हर्फ़ याद है मुझेतुझे भला किस तरह भुलाऊँ मैं दिल में बस तेरी ही तस्वीर लगी हैकिसी और को इसमें कैसे बसाऊं मैं तुझे खोने का… Read More

लघु कहानी : दहेज़ का असर

खिड़की से एक टक बाहर देखती या बैचैनी से इधर-उधर चहलकदमी करती एक नई नवेली दुल्हन मानो आज उस पर तूफान आया हुआ है। आज उसे हर रिश्ता फीका लग रहा हो। इसी उधेड़बुन में थी कि अब क्या होगा।… Read More

कविता : मैं नारी हूँ

मैं नारी हूँ और  मैं शापित हूँ नरों की कुंठा  झेलने के लिए और इस बेढंगे समाज में रोज़ नई प्रताड़नाओं से मिलने के लिए मैं कैसे तोड़ पाऊँगी इन सभी वर्जनाओं को जो इतिहास ने खड़े कर रखे हैं मेरे… Read More

भोजपुरी के गीतकार मोती बी.ए. की जन्मशताब्दी पर विशेष

आखर और मैथिली-भोजपुरी अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में भोजपुरी के गीतकार मोती बी.ए. की जन्मशताब्दी के अवसर पर ‘हिंदी सिनेमा के विकास में लोकसंगीत और लोकभाषा के प्रभाव (विशेष संदर्भ : भोजपुरी) विषयक आज हिंदी भवन में एक व्याख्यान का… Read More