मुझे साइकल चलाना सीखना था। पर दुर्भाग्य से मेरे घर में साइकल नही थी। मोहल्ले के सभी बच्चे साइकल चलाते रोज दिख जाया करते थे। उन्हें साइकल चलाते देख कर मुझे रोज उनसे ईर्ष्या और खुद पर शर्मिंदगी महसूस होती। 
एक दिन मैंने अपने चाचा की एक पुरानी साइकल उन्हें बिना बताए चुपके से निकाल ली। पुरानी होने के कारण उसके ब्रेक ख़राब थे और चैन भी कमजोर थी। 
पर मुझे साइकल चलाना सीखना था। मैंने अपने बाएं पैर से साइकल के बाएं पैडल पर जोर मारना शुरू किया। अफ़सोस की बार बार उसकी चैन उतर जा रही थी। मैं परेशान था पर कोशिश करता रहा। 
मैंने ढलान के ऊपर से साइकल के पैडल को धीरे से घुमाना शुरू किया। साइकल की चैन नही उतरी साइकल ढलान से नीचे उतरने लगी। पर मेरी हिम्मत ही नही हुई की मैं सीट पर बैठ कर अपने दाएं पैर से साइकल के दाएं पैडल को चला सकूँ। मैं इस बात से आशंकित था कि यदि मैं सीट पर बैठ गया तो कही साइकल जमीन पर ना गिर जाए। 
और यदि साइकल गिरी और मुझे चोट लगी तो घर पर बहुत मार पड़ेगी।मैं हर बार ढलान के ऊपर साइकल लेकर जाता पर सीट तक नही पहुँच पाता। मेरी हिम्मत जवाब देने लगती। साइकल पुरानी भी थी और ब्रेक भी नही लगते थे। यदि ब्रेक और चैन ठीक होते तो मैं जरूर सीट पर बैठ कर साइकल चलाने की हिम्मत कर सकता था पर यही डर था कि कही चैन उतर गई या कोई सामने से आ गया तो ब्रेक नही लगे तो चोट लग सकती है। 
कई प्रयासों का बाद मैं साइकल के डंडे पर बैठकर साइकल चलाने लग गया। मुझे अपनी इस महान सफलता पर गर्व हो ही रहा था कि सामने एक गाय आ गई और ब्रेक नही होने की वजह से साइकल सहित मैं उस गाय से जा टकराया।
उस दिन के बाद मैंने साइकल चलानी सीख ली। हालाँकि कुछ मामूली चोटें अवश्य आई पर उन्हें आसानी से छिपाया गया। मैं हर शाम वही पुरानी साइकल  निकालता उसे चलाता, धीरे धीरे मैंने सीट पर बैठकर साइकल चलाना भी सीख लिया। यह मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि थी जिसे लेकर मैं प्रसन्न था।
पर मैंने देखा कुछ लड़कों को जो मेरे सामने अपनी अपनी साइकलें बड़ी तेजी से भगाते और अचानक ही जोर का ब्रेक मारकर साइकल को एक पहिए पर खड़ा कर स्टंट दिखाने का प्रयास करते। मैंने देखा छोटे बच्चो को जो बड़ी तेजी से अपनी साइकलें ट्रैफिक जाम के बीच से निकाल लेते थे। मैंने उन्ही बच्चो को साइकल पर करतब करते देखता था। 
पर मेरी कभी हिम्मत नही होती थी की मैं उनकी तरह ही तेजी से अपनी साइकल चलाऊं। मेरा मन बहुत था पर मेरी साइकल की स्थिति उस लायक नही थी कि मैं हवा की गति से अपनी साइकल चला पाऊं । करतब दिखा पाऊं और उन बच्चो के साथ साइकल की रेस लगा पाऊं। यह मेरे लिए सम्भव ही नही था। 
वक़्त बदला मुझे नई साइकल पिताजी ने दिलवाई। अब मैं चाहता तो हवा की गति से अपनी साइकल भगाता। खूब जोर का ब्रेक मारकर साइकल से करतब दिखाता और ट्रैफिक जाम के बीच से कटते कटाते हुए अपनी साइकल को निकालता और जाम में फंसे लोगो को जलाता। 
पर , यह सम्भव नही हो पाया। 
जिस पुरानी साइकल पर मैंने साइकल को चलाना सीखा था। उसी साइकल ने मेरे अंदर एक डर उत्तपन्न कर दिया था। मैंने कभी साइकल तेजी से चलाई ही नही क्योंकि मेरी साइकल उस लायक थी ही नही। वह पुरानी और ख़राब हो चुकी थी। जोर जोर से पैडल मारते वक़्त उसकी चैन उतर आती थी, उसके ब्रेक नही लगते थे। 
मैंने साइकल  चलाना ही इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए सीखा। मेरी वही शिक्षा मेरे अंदर घर कर चुकी थी, मेरे पास नई साइकल होने के बावजूद मैं अपने उस पुराने डर को नही भुला पा रहा था। मुझे लगता है कि यदि साइकल तेज चलाई तो चैन उतर जायेगी। यदि कोई अचानक से बीच में आया तो वह भी उस गाय की तरह भिड़ जायेगा। मैं साइकल से गिर जाऊंगा और चोट लग जाएगी। 
पर एक दिन मेरे एक मित्र ने मुझसे लिफ्ट मांगी । मैंने उसे अपनी साइकल पर बैठने के लिए कहा। वह पीछे बैठ गया पर उसे मेरा साइकल धीरे धीरे चलाना पसन्द नही आ रहा था। कुछ देर बाद उसने मुझसे कहा, ” भाई साइकल मैं चला लूं क्या तुम पीछे बैठ जाओ”मैंने कहा ” हां क्यों नही ” मेरी ऊर्जा ही बच रही थी। उसने साइकल ली मैं पीछे बैठा। उसने साइकल चलानी प्रारम्भ की। धीरे धीरे वह काफी तेजी से साइकल भगाने लगा। मैं घबराने लगा मुझे लगा कि कहीं कोई गाय ना सामने आ जाये या चैन न उतर जाए। मैंने उससे कहा ‘” भाई धीरे चला नई साइकल है कहीं चैन न उतर जाए या कोई जानवर ना सामने आ जाये”उसने जवाब दिया, ” भाई नई साइकल है ना आज तुम्हारी साइकल की टेस्टिंग हो जायेगी तुम परेशान मत हो साइकल नही गिरेगी”उसके बाद उसने साइकल को और तेजी से चलाना शुरू कर दिया। मैं मारे डर के साइकल की सीट को कस कर पकड़े हुए था और जहाँ मुझे दुर्घटना होने की आशंका होती तो आँखे बंद हो जाती। 
पर कहीं कोई दुर्घटना नही घटी उस लड़के ने मेरी नई साइकल पूरी तेजी से चलाई। ना चैन उतरी ना ब्रेक्स में कोई समस्या आई। मुझे पता ही नही था कि मेरी साइकल भी उन्ही साइकलों जैसी ही है जैसी उन लड़कों के पास थी जिनसे वे स्टंट दिखाते थे। 
उसी शाम मैंने उन सभी साइकलबाजों के साथ साइकल रेस में हिस्सा लिया….

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