हिंदी दलित कविता

आधुनिक काल में हिन्दी  दलित कविता का प्रारंभ सितम्बर 1914 में सरस्वती में प्रकाशित हीरा डोम की भोजपुरी कविता से माना जाता है।जिसका शिर्षक था’अछूत की शिकायत’–“हमनी के इनरा से निगिचे ना जाइलेजापांके में भरी पीअतानी पानीपनही से पिटि पिटि… Read More

आचार्य शुक्ल : वाद-विवाद-संवाद

शुक्ल ने न केवल इतिहास लेखन की बहुत ही  कमजोरपरम्परा को उन्नत किया बल्कि आलोचना के अतीव रुढ़िग्रस्त और क्षीण परम्परा को अपेक्षित गांभीर्य और विस्तार दिया।डॉ.नगेन्द्र जहाँ रीतिकाल को पुनप्रतिष्ठित करने की भरपूर कोशिश करते दिखते हैं,वहीं शुक्ल वहाँ… Read More

ग़ज़ल : इक रोज़ तुझे अपनी दुलहन बनाऊंगा मैं…

तुझे इस तरह से ज़िन्दगी में लाऊंगा मैं…इक रोज़ तुझे अपनी दुल्हन बनाऊँगा मैं…।ना रहेगा डर फिर हमें इस ज़माने का…..शौक से तुझे अपनी धड़कनें सुनाऊंगा मैं…।बस इक बार मेरा हमसफ़र बन के तो देख ले…सारे जहाँ की खुशियां तुझपे… Read More

चाँद की बाँहों में आ कर उल्लास उमंग में झूम रहे हैं

द्वार पे चाँद के पग धरने को चन्द्रयान से उतरे हम,बाँह पसारे थाम लिया सुन गान चाँद का स्वागत सरगमपाँव धरा पर धरने न दिया हमें बाहुपाश में बाँध लियामिलन यामिनी की बेला में चाँद नयन को चूम रहे हैंचाँद… Read More

कविता : तू चल

तू  चल अब तू आज़ाद है तेरे लिए ये दुनिया एक खुला आसमान है… रूकावटें आएँगी अभी रास्तो में कई उनसे घबराकर तू रुक ना जाना कहीं… वादों के रास्तों पे चलके तू कुछ दूर तक ही जाएगा लेकिन मेहनत… Read More

गीत : तुझे मेरी मोहब्बत में

तुझे मेरी मोहब्बत में यकीन न आयामुझे तेरी मोहब्बत के सिवा न आयाआज फिर से पशेमां रह गया दरिया अपनामुझे प्यास बुझाने का हुनर न आयासन्नाटे सी हो गई हैं गलिया अपनीखनक पायल के सिवा कुछ न आयाहो गई हैं… Read More

कौन था (?) मुल्ला नसरुद्दीन

मुल्ला नसरुद्दीन एक शाम अपने घर से निकला | उसने सोचा कि चलो आज अपने दो-चार मित्रों के घर चला जाय और उनसे भेंट-मुलाकात की जाय | वह अभी घर से निकलकर कुछ ही कदम चला था कि दूसरे गाँव से उसका एक दोस्त… Read More

व्यंग्य : लोहा टू लोहा

आजकल देश में मोटा भाई कहने का चलन बहुत बढ़ गया है। माना जाता है कि बंधुत्व और दोस्ती का ये रिश्ता लोहे की मानिंद सॉलिड है। पहले ये शब्द भैया कहा जाता था ,लेकिन जब से अमर सिंह ने… Read More

जयंती विशेष : परम्परा और आधुनिकता के समन्वयक हबीब तनवीर

हबीब तनवीर का जन्म 1 सितम्बर, 1923 को बैजनाथ पारा, रायपुर में हुआ था। बचपन से ही उनका  रुझान कला एवं अभिनय की तरफ रहा। अपने बम्बई प्रवास के दौरान तनवीर आकाशवाणी (बम्बई) के तत्कालीन निर्देशक रहे तथा ‘फिल्म इंडिया’… Read More

कविता : आज तीज है

आज तीज है …माँ का बिछुआ बदलना बहन का मेंहदी रचाना भाभी का चमकता शृंगारआज तीज है…बाबूजी का नयी साड़ी सिरहाने छिपानाजीजा का वो रसगुल्ले पहले से लेकर आनाभाई का पैकेट बंद उपहार दिखा ललचाना आज तीज है…नयी चूड़ियों में चमकती कलाई ऐड़ियों का… Read More