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पल पल दिल के पास मूवी ट्रेलर : करण के रोमांस के साथ देखिए पापा सनी देओल वाले तेवर

सनी देओल के बेटे करण देओल की डेब्यू फ़िल्म पल पल दिल के पास का ट्रेलर रिलीज़ कर दिया गया है। ट्रेलर काफ़ी धमाकेदार है, जिसमें करण ने अपनी रोमांटिक साइड के साथ पापा सनी वाले तेवर भी दिखाये हैं।… Read More

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हिंदी दिवस पर लेख और रचनाएं आमंत्रित हैं

14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर आप हमें हिंदी भाषा और साहित्य से जुड़े लेख/संस्मरण/कविता/कहानी/यात्रा वृतांत आदि किसी भी विधा में अपनी रचना भेज सकते हैं। इसका प्रकाशन ‘साहित्य सिनेमा सेतु’ के… Read More

व्यंग्य : लोहा टू लोहा

आजकल देश में मोटा भाई कहने का चलन बहुत बढ़ गया है। माना जाता है कि बंधुत्व और दोस्ती का ये रिश्ता लोहे की मानिंद सॉलिड है। पहले ये शब्द भैया कहा जाता था ,लेकिन जब से अमर सिंह ने… Read More

जयंती विशेष : परम्परा और आधुनिकता के समन्वयक हबीब तनवीर

हबीब तनवीर का जन्म 1 सितम्बर, 1923 को बैजनाथ पारा, रायपुर में हुआ था। बचपन से ही उनका  रुझान कला एवं अभिनय की तरफ रहा। अपने बम्बई प्रवास के दौरान तनवीर आकाशवाणी (बम्बई) के तत्कालीन निर्देशक रहे तथा ‘फिल्म इंडिया’… Read More

कविता : आज तीज है

आज तीज है …माँ का बिछुआ बदलना बहन का मेंहदी रचाना भाभी का चमकता शृंगारआज तीज है…बाबूजी का नयी साड़ी सिरहाने छिपानाजीजा का वो रसगुल्ले पहले से लेकर आनाभाई का पैकेट बंद उपहार दिखा ललचाना आज तीज है…नयी चूड़ियों में चमकती कलाई ऐड़ियों का… Read More

कविता : अमृता प्रीतम

मेरी प्रिय अमृता आप जहाँ कहीं भी हैं , ये आपके लिये … वो जो ऐश ट्रे में बुझी हुई सिगरेट के साथ रह गयी थी ललछौंह सी नन्ही सी चिंगारी रंग -बिरंगे रंगों से रंगी कूँची में ,छूटगया था जो धोने के… Read More

तुलसी और कबीर के निकष अलग

क्या यह संभव है कि एक कालखंड में या अलग अलग कालखंड में दो या तीन कवि महान हो सकते हैं? क्या एक कवि को दूसरे कवि के निकष पर कसना और फिर उनका मूल्यांकन करना उचित है ? एक कवि के पदों… Read More

जातिवादी विमर्श

जातिवादी विमर्श की शुरुआत आदिकाल से ही है, भक्तिकाल में इस पर जमकर प्रहार हुआ,रीतिकाल में जातिवादी विमर्श पर कुछ भी नहीं दिखलाई पड़ता है। आधुनिक काल तथा स्वतंत्रता आंदोलन के समय यह जातिवादी विमर्श, अंग्रेजों के लिए एक बहुत… Read More

संस्मरण : हमको तो चलना आता है केवल सीना तान के (भगवतीचरण वर्मा के जन्मदिवस पर विशेष)

कुछ लेखक होते हैं जो बहुत कुछ लिख जाने के बाद भी अपना पता नहीं दे पाते तो कुछ लेखक ऐसे भी होते हैं जिन की रचनाएं तुरंत उन का पता दे देती हैं। पर किसी लेखक की रचना ही… Read More

ग़ज़ल : तुझपे ग़ज़ल लिखूं…

तुझपे ग़ज़ल लिखूं या कोई किताब लिख दूँ…दिल करता है तुझे महकता हुआ ग़ुलाब लिख दूँ…।तेरे हुस्न की जहाँ में कोई मिसाल नहीं है…तुझे आसमां पे चमकता हुआ माहताब लिख दूँ…।तेरी खूबसूरती वो दहकता हुआ शोला है….कभी कभी लगता है… Read More