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व्यंग्य : डर दा मामला है

“सबसे विकट आत्मविश्वास मूर्खता का होता है, हमें एक उम्र से मालूम है – हरिशंकर परसाई”। फिल्मों की “द फैक्ट्री “चलाने वाले निर्देशक राम गोपाल वर्मा महोदय ने डर के लेकर दिलचस्प प्रयोग किये।वो अपनी किसी फेम फिल्म में डर… Read More

हंसराज कॉलेज में अटल जयन्ती पर हुआ कवि सम्मलेन का आयोजन

भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में साहित्य संस्कृति फाउंडेशन द्वारा कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर फाउंडेशन की ओर से सांस्कृतिक, सामाजिक क्षेत्र में… Read More

अलविदा 2019 Welcome 2020 लेख/रचना आमंत्रण

अलविदा 2019 Welcome 2020 ‘साहित्य सिनेमा सेतु’ वेबपोर्टल के लिए साहित्य, सिनेमा, शिक्षा, समाज और कला एवं संस्कृति आदि से संबंधित विषयों पर लेख/रचना आमंत्रण सिनेमा 2019 की टॉप 10 बॉलीवुड फिल्म 10 हॉलीवुड फिल्म 10 शॉर्ट फिल्म 10 वेब… Read More

व्यंग्य: आपको क्या तकलीफ है

रिपोर्टर कैमरामैन को लेकर रिपोर्टिंग करने निकला।वो कुछ डिफरेंट दिखाना चाहता था डिफरेंट एंगल से ।उसे सबसे पहले एक बच्चा मिला । रिपोर्टर ,बच्चे से-“बेटा आपका इस कानून के बारे में क्या कहना है”? बच्चा हँसते हुये-“अच्छा है,अंकल इस ठण्ड… Read More

व्यंग्य : कौआ कान ले गया

“हुजूर,आरिजो रुख्सार क्या तमाम बदन मेरी सुनो तो मुजस्सिम गुलाब हो जाए, गलत कहूँ तो मेरी आकबत बिगड़ती है  जो सच कहूँ तो खुदी बेनकाब हो जाए” इधर सताए हुए कुछ लोगों के जख्मों पर फाहे क्या रखे गए उधर… Read More

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पुस्तक समीक्षा – कुछ नीति, कुछ राजनीति

पुस्तक – कुछ नीति कुछ राजनीति लेखक – भवानीप्रसाद मिश्र पुस्तक समीक्षा – मयंक रविकान्त अग्निहोत्री भारतीय साहित्यिक इतिहास में श्रेष्ठ रचनाकारो की गिनती में भवानीप्रसाद मिश्र जी को सम्मिलित किया जाता है। कुछ नीति कुछ राजनीति पुस्तक उनके श्रेष्ठ… Read More

व्यंग्य : पापा नहीं मानेंगे

“खुदा करे इन हसीनों के अब्बा हमें माफ़ कर दें, हमारे वास्ते या खुदा, मैदान साफ़ कर दें” एक उस्ताद शायर की ये मानीखेज पंक्तियां बरसों बरस तक आशिकों के जुबानों पर दुआ बनकर आती रहीं थीं, गोया ये बद्दुआ… Read More

World Hindi Conference

अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन : नई दुनिया, नया भारत और नई हिंदी

एक अपील, विनम्रतापूर्वक निवेदन के साथ… हंसराज कॉलेज, दिल्ली ने शिक्षा जगत में कीर्तिमान स्थापित करने के साथ ही साहित्य, सिनेमा, मीडिया, खेल, राजनीति, प्रशासन के क्षेत्र में कई विभूतियों को जन्म दिया है। शैक्षणिक उपलब्धियों के साथ साहित्यिक और… Read More

कविता : हे ! माँ मुझको गर्भ में ले ले

हे ! माँ मुझको गर्भ में ले ले, बाहर मुझको डर लागे। देह-लुटेरे, देह के दुश्मन, मुझको अब जन-जन लागे। अधपक कच्ची कलियों को भी, समूल ही डाल से तोड़ दिया। आत्मा तक को नोंच लिया फिर, जीवित माँस क्यों… Read More