nirbhaya-rape-case

अजीब सी भावनाओं के साथ एक लेखक होने के कारण मज़बूरी में लिखना कही न कही थोड़ा जरुरी सा हो गया वो भी तब थोड़ी अजीबो- गरीब हरकते समाज के कुछ महत्वपूर्ण और कर्मठ युवाओं के द्वारा देखने को मिल रही है। एक लड़की देश में, राज्य में, या आपके अपने जिलें में महफूज नहीं है…. क्यों नहीं है? इसका उत्तर कही न कही आपके पास भी होगा ही,और होना भी चाहिए सबके अपने स्वयं के विचार होते है, और मानव जीवन में विचारों की तो भरपूरता साफ देखी जा सकती है। मै यह कोई नारिवादिता या फेमिनिज्म का खेल दिखाने के लिए नहीं लिख रही, पर आप और समाज के बहुत से बुद्धजीवी इस सच्चाई से मुकर नहीं सकते है, कि एक लड़की होने के निशन्देह बहुत से फायदें है ,जिनका समय समय पर हम लड़कियां उपयोग भी बड़ी ही चतुराई से करती आई है, किन्तु उससे कही ज्यादा हमे लड़की होने के नुकसान भी उठाने पड़ते है। समाज में शायद ही कोई लड़की हो,जो ये कह सके कि उसे कभी भी यौन उत्पीड़न या महिला हिंसा जैसी समस्यायों का सामना नहीं करना पड़ा है। निर्भया केस सिर्फ एक ऐसा केस बन गया जो सबकी नजरों में आ गया और समस्त समाज के महान युवा इन सब में बढ़-चढ़ के सामने आ गए, पर जहा एक शोध से हमे यह जानकारी प्राप्त होती है कि महिलाओ के लिए दुनिया में सबसे असुरक्षित देश कि सूची में सबसे पहला स्थान भारत का है वहां कैसे कहा जा सकता है कि हम सबसे तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थ है? या हमारी सभ्यता सबसे महान सभ्यता है? ये यह आकंड़े देखने के बाद उच्त्तम शिक्षा,सर्वोत्तम अर्थव्यवस्था होने का कोई मतलब नहीं रह जाता। महिलाओं के खिलाफ अभी भी हिंसा उच्च स्तर पर चल रही है इसके जिम्मदार खुद महिलाएं ही है इसमें कोई सन्देश नहीं और यदा कदा यही कोई महिला इस पर कुछ कठोर कदम उठा भी ले तब महिलाएं ही इनका विरोध करती है पर अगर विस्तृत रूप में इसे समझा जाये तो महिलयों की सोच पर कही न कही अशिक्षा का दंश आज भी देखा जा सकता है ।

नेशनल क्राइम रिपोर्ट के अनुसार भारत को तीन मुद्दों पर सबसे खतरनाक माना जाता है – 1. जोखिम महिलाओं पर यौन हिंसा और उत्पीड़न, 2. सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रथाएं, 3. मानव तस्करी से मजबूर श्रम, सेक्स दासता और घरेलू दासता। द स्ट्रेट्स टाइम्स के अनुसार 193 संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों में से पांच राष्ट्र महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक थे और स्वास्थ्य, आर्थिक संसाधनों, पारंपरिक प्रथाओं, यौन और गैर-यौन शोषण और मानव तस्करी के लिए सबसे खराब थे, और तो और भारत में बलात्कार महिलाओं का चौथा सबसे आम अपराध है। एक सर्वे क अनुसार दुनिया के सबसे अधिक पोर्न साइट देखने वाले देश में भारत 4 नंबर में आता है, ये अकड़ा कोई नया नहीं है और जाहिर सी बात है ये कोई आश्चर्य वाली बात भी नहीं। पर आश्चर्य की बात यह है जरूर कि इंटरनेट की मानें तो भारत में 2018 में 101,105 रेप केस दर्ज किये गए।

कही न कही पाप तो है मन में… क्योकि लोग जो अपनी क्लास की लड़कियों पर नजर बनाये रखते है और उसके बार में जाने क्या क्या परपंच रचते है शाम को वही लोग निर्भया के दोषियों के लिए दीपक जला कर फोटो खींचते है…जरूरत तो इस बात की है कि है दिखावा करने और फोटो खिचानें के लिए महिलाओं की इज्जत न करें,बल्कि मन से इज्जत आ सके तो करें और यदि नहीं क़र सकते तो दिखावा ही बंद करें ये आंकड़े काल्पनिक नहीं है ये देश के भविष्य को दिखा रहे है जहाँ आप पोर्न साइट्स में चीजे देख रहे है वही आप सुबह दीपक जला कर फोटो भी खींचा रहे है इस दोगले व्यक्तित्व से बाहर निकालिये यदि भारत का हर व्यक्ति इतना पाक साफ है तो फिर महिलाये इतने असुरिक्षत किससे है? समस्या कहा है? इसमें सन्देश नहीं कि भारत कि न्याय व्यवस्था उतनी मजबूत नहीं जितने यहाँ के लोग दिमागदार है किन्तु यदि सब पाक साफ है तो फिर नापाक कौन है? जरुरत है खुद में बदलाव कि आप सुधरिये आप बदलिए समाज तभी बदलेगा कमी आप में है 8 माह कि बच्ची में नहीं…पापी आप है… मन में पाप आपके है…सोच आपकी गन्दी है….तो सुधार भी आपको करना होगा।

“तू कर सके,तो ऐसा कर
तेना नाम हो तेरा काम हो ।
तू धूप बन, तू ही छाव बन
जिसकी जरुरत आन हो।।”

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One thought on “क्या सच में मन में पाप नहीं?”

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