girls-scream

रेशमा, कुदसिया दोनों के लिए आज का दिन भी हमेशा जैसा ख़ुशगवार था। सूरज में सुर्ती थोड़ी कम थी इन दिनों। रेशमा की शादी की तैयारियाँ चल रही थी। इसी सिलसिले में रेशमा अपनी सहेली और बहन ज्यादा जैसी कुदसिया के साथ गाड़ी में बैठे गेती के घर रवाना हुई। गेती घर के कामों में व्यस्त थी। रेशमा ने जाकर घंटी बजाई तो गेती की सौतेली माँ ने दरवाजा खोला।
असलाम वालेकुम – चाची
वालेकुम… असलाम और
चाची मैं और कुदसिया शोपिंग के लिए जा रहे थे तो सोचा गेती को भी साथ ले चलें।
तूने तो पहले से ही अपने चचा से इजाजत ले ली थी। अब मुझ से क्यों पूछती हो? ह्म्म्म सोचा होगा मेरा तो इस पर अख्तियार ही नहीं… सौतेली माँ जो ठहरी।
ये कैसी बात कर रहीं हैं आप? आपके बारे में मैं… भला ऐसा… दरअसल चचा के पार मोबाइल था तो मैंने उन्हें ही फोन किया था।
अं हाँ… मुँह अजीब सा बिचकाते हुए गेती की माँ बोली।
रेशमा ने बाहर से ही हल्की सी आवाज गेती को दी तो उसकी माँ ने उसे दरवाजे पर ही रोक दिया और बोली – ‘अभी पोछा लगा रही है, घर का सारा काम करने के बाद ही आएगी।’
नाक भौं सिकोड़ते हुए रेशमा अपनी गाड़ी में जा बैठी और कुदसिया से बातें करती हुई गेती की सौतेली माँ को भला बुरा कहने लगी।
करीब एक घंटा बाहर इंतजार करती कुदसिया और रेशमा की गाड़ी का दरवाजा गेती ने खोला तो तीनों सहेलियाँ हवा से बातें करने लगी।
हाथ में खिलौने वाली बंदूक पकड़े रेशमा ने कहा – ‘अगर ये बंदूक असली होती तो इसी से मैं तेरी सौतेली माँ को मार देती।’
तीनों सहेलियाँ जोर से ठहाके लगाने लगी।
कुदसिया हँसते-हँसते बीच में मज़ाक के लहजे में बोली- ‘तू खाने में जहर मिला दे।’
गेती – ‘हाँ बस अब यही रह गया ना? वैसे हाथों की लकीरों में तो कुछ नहीं रखा लेकिन खून की लकीरें जरुर निकाली हा सकती हैं।’
तीनों फिर जोर से हँसने लगी।
उस दिन देर रात गेती घर से लौटी तो उसकी सौतेली माँ अपने खाविंद से बतिया रही थी – ‘देखो लड़का अच्छा है। विदेश में नौकरी करता है और तो और हक मैहर 10 लाख रुपया देने की बात भी हुई है।’
लड़का ? तुम उस रंडवे और 15 साल बड़े आदमी को लड़का कहती हो ?
गेती के अब्बा बोले तो उसकी माँ भी बिफ़र पड़ी – ‘हाँ तो तुम्हारे बारे में भी मेरे अब्बा ने यही कहा था। लड़का अच्छा है पर तुम तो फिर भी रुपए पैसे वाले नहीं थे।’
थोड़ा परेशान हाल होते हुए अब्बा अगले दिन जब काम से लौटे तो उन्होंने उस लड़के की तस्वीर गेती को दिखाते हुए कहा – ‘बेटा मेरी नौकरी चली गई, और तुम्हारी शादी भी करनी है, ये लड़का तुम्हारे लिए ठीक रहेगा।’
उस दिन रेशमा का संगीत भी हो रहा था। कुदसिया ने गेती को लाने के लिए गाड़ी भेजी थी। अपने अब्बा को परेशान देख गेती का मन संगीत में जाने का नहीं हुआ पर फिर अब्बा के ही जोर देने पर गेती कुदसिया के घर पहुँची। घर में सभी लोग नाच गाने में लगे थे। रेशमा अपने भाई की शादी गेती से करवाना चाहती थी। इसलिए वो बार-बार गेती और हमजा को डांस फ्लोर पर साथ ले आती। मन में अजीब सी हूक लिए गेती कनखियों से हमजा को देखती और दोनों स्फिट मुस्कान छोड़ नजरें चुरा लेते। अचानक से गेती सभी से नजरें चुरा घर के भीतर दाखिल हुई तो उसके पीछे-पीछे चार-छ: कदम सीढ़ियों पर एक अनजान शख्स के दिखाई दिए। फिर अचानक से एक चीख निकली और संगीत के साथ-साथ सबकुछ शांत हो गया।

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