दिल की चाह मान सम्मान,
पाने की कभी नहीं रही।
लिखा मेरा शौक है,
और हिंदी मेरी माँ हैं।
इसलिए विश्व की ऊंचाईयां,
मां को दिलाना चाहता हूँ।
और माँभारती की सेवा करना,
अपना फर्ज समझता हूँ।।
इसलिए में साफ शुद्ध,
बिना चापलूसी के लिखता हूँ।
और माँ भारती के चरणों में,
दिलसे नत मस्तक रहता हूँ।
और हिंदी के उथान के लिए,
गीत कविताएं लिखता हूँ।
और मां की सेवा करना,
अपना कर्तव्य समझता हूँ।।
मिले सम्मान या नहीं मिले,
इसकी परवाह नहीं करता।
लेखक हूँ ,काम है लिखना।
इसलिए पाठको के लिए,
दिल से सही लिखता हूँ।
और समाजकी बुराइयों को,
लेखनी से प्रगट करता हूँ।
कभी सरहाया जाता हूँ,
तो कभी ठुकराया जाता हूँ।
पर पाठको के दिल में,
अपनी जगह बना लेता हूँ।।
लोगों के दिलको छू जाए,
तो लेखक को खुशी होती है।
और दिल दुख जाए किसीका,
तो बुरा सुनना पड़ता है।
लेखक के जीवन में,
ये निरंतर चलता रहता है।
इसलिए माँ भारती के प्रति,
कभी समझौता नहीं करता।
चाहे मान सम्मान,
मिले या न मिले।
इससे मेरी लेखनी पर,
असर पड़ता नहीं।।

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