समझ नहीं आता हम भारत को कैसे स्वच्छ करें?
क्या वही थी वो गंगा, अविरल सी बहती,
जहाँ वायु में शुद्धता का समावेश था।
कितना सुंदर था हमारा भारत
कितना स्वच्छ था हमारा भारत
पूरे विश्व में शुद्धता का परिमाण था।
पूजे जाते पेड़ भी देश हमारा कितना महान था।
पर आज क्या हो गया है लोगो को!
यह तो मेरी सोच से परे है।
फैलाते ख़ुद गंदगी….. और कहते
ऊम….छि: कितनी गंदगी है यहाँ, जहाँ हम खड़े है।
गंगा जैसी पावन नीर को भी लोगों ने दूषित कर डाला है,
वही समाज़ मढ़ते स्वयं के दोषों को दूसरों पर
और कहते कुछ नहीं करती सरकार,
इन्होंनें तो बस खोखले अभियानों को चलाया है।
वायु में शुद्धता कहाँ रहेगी?
पेड़ों के अस्तित्व का जो ख़तरा है।
साफ़ आसमां को देखे तो जमानें हो गए,
अब तो उनपर धुंध का छाया पहरा है।
लेकिन, यह विडंबना तो देखिये
इतने गंभीर विषय को भी हम,
आज भी इतनी गंभीरता से नहीं लेते!
काटते है हम उन्हीं हरे-भरे पेड़ों को,
जो हमें ऑक्सीजन है देते।
स्वच्छ भारत के लिए सरकार ने कितने ही अभियानों को चलाया,
पर लोगों के समझ में यह बात अब तक न आया।
न जाने क्या होगा भविष्य में, यह अत्यंत ही चिंता का विषय है।
सभी जिये जा रहे आज़ अपनी व्यस्त भरी दुनियाँ में,
वास्तव में इस पर्यावरण की फिक्र किसे है??
ख़ैर कोई नहीं…………२०३० में गर साँस न ले पाये
तो क्या हुआ……?
“DIGITAL INDIA” है “OXYGEN PIPE” लाएँगे!
पर पेड़ नहीं लगायेंगे।