भाषाविज्ञान पर विचार करते समय हमें यह ज्ञात होता है कि जिसमें भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाए वही भाषाविज्ञान है तो स्पष्ट ही यह विज्ञान है। दरअसल विज्ञान शब्द का मूल अर्थ ‘विशिष्ट ज्ञान’ है। उपनिषदों में इसका प्रयोग… Read More
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भाषाविज्ञान पर विचार करते समय हमें यह ज्ञात होता है कि जिसमें भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाए वही भाषाविज्ञान है तो स्पष्ट ही यह विज्ञान है। दरअसल विज्ञान शब्द का मूल अर्थ ‘विशिष्ट ज्ञान’ है। उपनिषदों में इसका प्रयोग… Read More
इससे पहले कि मैं अब पागल हो जाऊँ। चाहता हूँ कि तुम्हारा काज़ल हो जाऊँ।। तू बरसती रहे मैं भीगता रहूँ मुसलसल, ग़र तू भीगती रहे तो मैं बादल हो जाऊँ।। मैं वो पत्थर भी नहीं कि जिसे चोट न… Read More
प्रेम के कुछ गंदे सने शब्दों को आंखों की बाल्टी में कुछ गर्म आँसुओं के साथ जब पूर्णतः भिगोकर दिल के पत्थर पर फ़ीचता हूँ और वह भी जब तक कि उसके चिथड़े न हो जायँ तब तक मुझे बेचैनी… Read More
क्यों न फिरदौस को दोज़ख़ से मिला दें या रब, सैर के वास्ते थोड़ी-सी फ़िज़ा और सही।। ग़ालिब मुंशी प्रेमचंद या ऐसे अनेक रचनाकारों को आज आधुनिकतावाद के इस महामारी की चपेट में बैठे-बिठाए कोरोना पॉज़िटिव घोषित किया जा रहा… Read More
निशानी देने वाले अपनी कहानी भूल गए कहानी तो छोड़िए आंख का पानी भूल गए आप ही क़ैद किये थे दिल को तह खाने में, और आप ही नज़रों की निगरानी भूल गए बस उन्हें यक़ीन नहीं कि वो क़यामत… Read More
“लिखना, प्रामाणिक पढ़ते रहने का सुबूत है।” – शैलेंद्र कुमार शुक्ल अच्छा! बात तो ये भी सच है कि स्वर्गीय दादा गोपालदास ‘नीरज’ प्रत्येक गँवई शहरी ज़िन्दगी के प्रत्येक गली घर के -चौराहे से लेकर इस देश के संसद में… Read More