bhashavigyan

लेख : भाषाविज्ञान कला है या विज्ञान

भाषाविज्ञान पर विचार करते समय हमें यह ज्ञात होता है कि जिसमें भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाए वही भाषाविज्ञान है तो स्पष्ट ही यह विज्ञान है। दरअसल विज्ञान शब्द का मूल अर्थ ‘विशिष्ट ज्ञान’ है। उपनिषदों में इसका प्रयोग… Read More

ghazal me pagal ho jau

ग़ज़ल : मैं अब पागल हो जाऊँ

इससे पहले कि मैं अब पागल हो जाऊँ। चाहता हूँ कि तुम्हारा काज़ल हो जाऊँ।। तू बरसती रहे मैं भीगता रहूँ मुसलसल, ग़र तू भीगती रहे तो मैं बादल हो जाऊँ।। मैं वो पत्थर भी नहीं कि जिसे चोट न… Read More

poem prem ke kpade aur shabd

कविता : प्रेम के कपड़े और शब्द

प्रेम के कुछ गंदे सने शब्दों को आंखों की बाल्टी में कुछ गर्म आँसुओं के साथ जब पूर्णतः भिगोकर दिल के पत्थर पर फ़ीचता हूँ और वह भी जब तक कि उसके चिथड़े न हो जायँ तब तक मुझे बेचैनी… Read More

writer munshi premchand

लेख : मुंशी प्रेमचंद को पढ़ते हुए

क्यों न फिरदौस को दोज़ख़ से मिला दें या रब, सैर के वास्ते थोड़ी-सी फ़िज़ा और सही।। ग़ालिब मुंशी प्रेमचंद या ऐसे अनेक रचनाकारों को आज आधुनिकतावाद के इस महामारी की चपेट में बैठे-बिठाए कोरोना पॉज़िटिव घोषित किया जा रहा… Read More

poem chaht to bas

ग़ज़ल : चाहत तो बस

निशानी देने वाले अपनी कहानी भूल गए कहानी तो छोड़िए आंख का पानी भूल गए आप ही क़ैद किये थे दिल को तह खाने में, और आप ही नज़रों की निगरानी भूल गए बस उन्हें यक़ीन नहीं कि वो क़यामत… Read More

Poet Gopaldas Neeraj

आदमी, जिंदगी और मज़हब : पद्मश्री स्वर्गीय गोपालदास नीरज

“लिखना, प्रामाणिक पढ़ते रहने का सुबूत है।” – शैलेंद्र कुमार शुक्ल अच्छा! बात तो ये भी सच है कि स्वर्गीय दादा गोपालदास ‘नीरज’ प्रत्येक गँवई शहरी ज़िन्दगी के प्रत्येक गली घर के -चौराहे से लेकर इस देश के संसद में… Read More