poem chaht to bas

निशानी देने वाले अपनी कहानी भूल गए
कहानी तो छोड़िए आंख का पानी भूल गए

आप ही क़ैद किये थे दिल को तह खाने में,
और आप ही नज़रों की निगरानी भूल गए

बस उन्हें यक़ीन नहीं कि वो क़यामत हैं, जो,
मेरे दिल में रखकर अपनी जवानी भूल गए।

पढ़ने लिखने वाले तो ये भी बताते हैं कि हम,
वही लिखते हैं जिसके आप मानी भूल गए।।

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