निशानी देने वाले अपनी कहानी भूल गए
कहानी तो छोड़िए आंख का पानी भूल गए
आप ही क़ैद किये थे दिल को तह खाने में,
और आप ही नज़रों की निगरानी भूल गए
बस उन्हें यक़ीन नहीं कि वो क़यामत हैं, जो,
मेरे दिल में रखकर अपनी जवानी भूल गए।
पढ़ने लिखने वाले तो ये भी बताते हैं कि हम,
वही लिखते हैं जिसके आप मानी भूल गए।।