Actor Deepraj Rana

कहते हैं जिस स्थान पर आपका जन्म और जिस परिवेश में आपका पालन-पोषण होता है वह आपके व्यक्तित्व में दिखता है। प्रयागराज के पावन पुनीत भूमि पर जन्मे अभिनेता दीपराज राणा अपने अभिनय के लिए तो जाने ही जाते हैं साथ ही उनके अंदर जानवरों, पक्षियों के प्रति प्रेम, आदर उन्हें औरों से बिल्कुल अलग खड़ा कर देता है।
“दबंग” अभिनेता जब अपने “साहब” के साथ होते हैं तो “गुंडे” और “गैंगस्टर” बन कर खुद को “बुलेट राजा” समझते हैं। वहीं जब वह अपनी “बीवी” के साथ होते हैं तो सब पर “प्रेम रतन धन बरसाते” है। दीपराज राणा ने कई फिल्मों, धारावाहिको में अपने सशक्त अभिनय से कभी हँसाया है तो कभी रुलाया है पर इन सबसे इतर जानवरों के प्रति स्नेह उनकी सहृदयता को दर्शाता है। मुझे याद है जब मैं पहली बार उनके घर गया था तो वह दरवाजे पर आए । मैंने अपना परिचय दिया तो उनका पहला सवाल था ‘जानवरों से डर तो नहीं लगता’? मैंने ‘न’ में सर हिलाया। अंदर गया तो उन्होंने कहा डरना नहीं, बस यह सूँघेंगे तुमको, काटेंगे नहीं । दो कुत्ते जिनका नाम जादू और डमरू, पर उनका सबसे प्यारा ‘जादू’। उन्होंने कहा, बैठो इनके खाने का समय हो गया है इन्हें खाना खिला दूँ। सब से मेरा परिचय कराया जैसे कोई अपने परिवार के सदस्यों से कराता है। बाद में मुझे पता चला सब उनके परिवार के सदस्य जैसे ही है।
उसी समय की बात है । एक रोज मैं उनके घर गया तो देखा एक ‘बकेट’ में एक पक्षी है। मैंने पूछा इसे कब लाए? उनका जवाब सुनकर मैं हैरान रह गया। उन्होंने बताया कल शूटिंग के दौरान यह घायल अवस्था में सेट पर आ गिरा । सबने इसे पकड़ने की कोशिश की पर यह किसी के हाथ नहीं आया। पर जब मैं इसके पास गया तो यह धीरे-धीरे मेरे पास आ गया। वह कहते हैं न, जानवरों को सबसे पहले अच्छे और बुरे का एहसास हो जाता है। वह उसे घर लाये, उसका उपचार कराया। जब वह स्वस्थ हो गया फिर उसे अपनी उड़ान भरने के लिए स्वतंत्र कर दिया। बेज़ुबानों के प्रति इनका प्रेम उन्हें इनके चौखट पर हमेशा ला खड़ा कर देता है।
इसका जीता जागता उदाहरण एक और दिखा। लॉकडाउन के समय एक पंछी (किंगफिशर) उनके खिड़की के पास आ बैठी। दीपराज जी ने जब देखा तो पाया की वह उड़ने में असमर्थ थी, उसके पंखों में च्युइंगम लगा हुआ है। उनसे रहा नहीं गया वह उसे घर के अंदर लाये । लॉकडाउन के समय सभी क्लीनिक बंद थे फिर उन्होंने अपनी भतीजी को कॉल किया । उसने बताया कि पंख को ऑलिव ऑयल से साफ कीजिए। दीपराज जी ने उस पक्षी की 2 दिनों तक देखरेख की। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि किंगफिशर पंछी मछली खाती है उसके लिए उन्होंने लॉकडाउन के समय में मछली की व्यवस्था की । और जब उन्हें यकीन हो गया कि वह पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी है तो उसे पवई लेक के पास ले जाकर छोड़ दिया। उन्होंने बातचीत के क्रम में ही बताया कि जब तक वह वहाँ से गए नहीं तब तक वह पंछी उन्हें भाव विभोर होकर देखती जा रही थी। दीपराज राणा ने बहुत सारी फिल्मों में अभिनय किया। वह अपने अभिनय से आम जनमानस के बीच हमेशा याद किए जाएँगे परंतु उनका जानवरों और पक्षियों के प्रति लगाव उन्हें सही अर्थों में मानवीय बनाता है । इसलिए इंसान के साथ साथ उन्हें जानवरों, पंछियों का भी प्रेम मिलता रहता है।

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