basant

कविता : बसंत की बेला आई

बसंत की बेला आई मन में महक जगाई अब तू भी जी ले कुछ पल को मन में यह फूल खिलाई बसंत की बेला आई।। मन की बागियों में अब तू हंसियो के फूल खिला दें यादों की सोंधी सी… Read More

manzile

कविता : मंजिले मिल जाती है

नदियाँ खुद अपनी चाल से रास्ते बना लेती है। बड़े-बड़े पहाड़ों को भी चीर कर आगे निकल जाती है। क्योंकि उन्हें अपने आप पर विश्वास होता है। इसलिए उन्हें आदर से पूजा जाता है।। इरादे हो अगर नेक तो मंजिले… Read More

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कविता : गाँवो में जाकर देखो

सोच बदलो गाँव बदलो अब चलो गाँव में। तभी हम गाँवो को खुशहाल बना पाएंगे। और नया हिंदुस्तान हम मिलकर बनाएंगे। और गाँवो का इतिहास एक बार फिर से दोहरायेंगे। गाँवो की मिट्टी का कोई जवाब नहीं है। पैरो में… Read More

baal shram

लेख : बाल श्रम

आओ मिलकर हम सब सुंदर भारत का निर्माण करें…. किसी बच्चे का दामन न छूटे अपने बचपन से रोंदे न कोई उसके सपनों को बाल श्रम के घन से कोई छीने न इनसे इनका भोलापन फिर न कोई छोटू मज़बूर… Read More

gulami

कविता : गुलामी

हम जात पात में पड़े रहेंगे। और देश को बर्बाद करेंगे। दूसरे देश प्रगति को चुनेंगे। और विश्व में पहचान बनाएंगे।। गये थे जब अंग्रेज देश से तो जाति का बीज वो गये थे। जिससे आपसी भाई चारा देश में… Read More

kaisi aadhunikta

कविता : कैसी आधुनिकता

पहले चिट्ठी आती थी पढ़ते थे हफ्तों तक फोन पर अब तो बाते हुई सीमित जैसे छोटे हो दिन।। वो भी क्या दिन थे, जब मिल घंटो बतियाते थे अब चलते – चलते मुलाकाते हुई।। सावन के झूले तीज त्यौहार… Read More

makar sankranti sandesh

कविता : मकर संक्रांति का संदेश

राम को जपो श्याम को जपो जपो ब्रम्हा विष्णु महेश को। पर मत छीनो लोगों से तुम उनके अधिकारो। राष्ट्र चरित्र का तुम सब कब करोंगे निर्माण? बहुत हुआ खेल अब जाति धर्म का देश में। कुछ तो अब शरम… Read More

makar sankranti

कविता : मकर संक्रांति आई है

मकर संक्रांति आई है एक नई क्रांति लाई है निकलेंगे घरों से हम तोड़ बंधनों को सब जकड़ें हैं जिसमें सर्दी से बर्फ़ शीत की गर्दी से हटा तन से रजाई है मकर संक्रांति आई है एक नई क्रांति लाई… Read More

poem aurto ki zindagi me

कविता : औरतों की जिंदगी में

औरतों की जिंदगी में, अब नही आता बसंत, मन में सपनों को, नही जगाता बसंत। खूनी आँखों से जल, जाता है बसंत, दु :शासनों से बहुत, घबराता है बसंत। गौरी खेतों में, जाने से डरती है, उसकी पायल भी, नही… Read More