ये मेरे भीतर छिपी व्याकुलता ही है, जिसने मेरे स्वभाव में अधीरता को जन्म दिया है। माना मेरी बुद्धि संकीर्ण थी और बुद्धजीवियों के व्यापक परंतु, इस संकीर्ण ने ही ढांढस बंधा स्वयं को संभाला, विपरीत व्यथाओं मेँ हर-पल। प्रतिकार,… Read More

ये मेरे भीतर छिपी व्याकुलता ही है, जिसने मेरे स्वभाव में अधीरता को जन्म दिया है। माना मेरी बुद्धि संकीर्ण थी और बुद्धजीवियों के व्यापक परंतु, इस संकीर्ण ने ही ढांढस बंधा स्वयं को संभाला, विपरीत व्यथाओं मेँ हर-पल। प्रतिकार,… Read More
फिल्मों के बाद अभिनेताओं और अभिनेत्रियों ने जिस तरीके से सपनों की दुनिया दिखलाने के साथ-साथ इंसानी रिश्तों, जज़बातों और उसके भावनाओं को सबसे ज्यादा कैश कराने का काम किया है, उसमें विज्ञापनों की एक बहुत बड़ी दुनिया है। जो… Read More
जमाना कब रहा किसका जमाना रहेगा किसका जमानेके इशारे से जो अपना हर कदम बढ़ाओगे मानो बात या न मानो मगर तुम फिसल जाओगे जमाना कब रहा किसका जमाना रहेगा किसका तुम्हारी रफ्तार से पीछे रहता है तो ये खीझता… Read More
जब भी आवाज दूं चले आना , मेरे गिरधर , मेरे कन्हाई जी । रीत प्रीत की भूल न जाना , जो भक्त-भगवान बनाई जी । तन-मन प्यासा जन्म-जन्म से, दरस को तरसे ये अखियां। बोल बोल-के छेड़े है जग… Read More
हमारे बाबा महाबीर प्रसाद हमें अपने साथ ले जाकर विजय दशमी पर हमें बताया करते थे नीलकंठ पक्षी के दर्शन भी कराते थे, समुद्र मंथन से निकले विष का पान भोले शंकर ने किया था इसीलिए कंठ उनका नीला पड़… Read More
रावण न होते तो राम भी कहाँ होते राजकुमार राम तो होते लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम नहीं होते ! धर्म की विजय नहीं होती चक्रवर्ती सम्राट भले होते रावण राम की पहचान हुए मर्यादा की तरफ प्रस्थान हुए माता सीता… Read More
एक अक्षर का शब्द है माँ, जिसमें समाया सारा जहाँ। जन्मदायनी बनके सबको, अस्तित्व में लाती वो। तभी तो वो माँ कहलाती, और वंश को आगे बढ़ाती। तभी वह अपने राजधर्म को, मां बनकर निभाती है।। माँ की लीला है… Read More
करे जो सच्चे मन से माँ की आराधना। मिले उसे ही दर्शन माता रानी का। इसलिए तो भक्त जन करते है माँ की उपासना। और पा जाते है अपने जीवन में सब कुछ।। जो माँ को दिल से याद करते… Read More
करे जो पूजा और भक्ति नवरात्रि के दिनों में। और करते है साधना माता की उपासना करके। तो मिलता है सूकून उसे अपने जीवन में। और हो जाती इच्छाएं उसकी इन दिनों में पूरी।। माता के नौ रूपों को जो… Read More
बेटियाँ जीवन का आधार/विचार/व्यवहार खुशियों का संसार हैं। बेटियाँ/पराई हैं सुन सुनकर मुरझाई हैं फिर….भी घर/परिवार/समाज को हर्षायी हैं। बेटियाँ रिश्तों की पहचान को आयाम देती हैं। बेटियाँ पीड़ा सहकर भी मुसकराई हैं। बेटियाँ अपने होने के अहसास को अनवरत… Read More