फिल्मों के बाद अभिनेताओं और अभिनेत्रियों ने जिस तरीके से सपनों की दुनिया दिखलाने के साथ-साथ इंसानी रिश्तों, जज़बातों और उसके भावनाओं को सबसे ज्यादा कैश कराने का काम किया है, उसमें विज्ञापनों की एक बहुत बड़ी दुनिया है। जो निरंतर सुरसा के मुँह की भाँति बढ़ता ही जा रहा है। आजकल हर 10 मिनट में दिखलाए जा रहे विज्ञापनों में पहला स्थान पान मसाला और गुटखा कंपनियों का ही रहता है। जिसमें हिंदी सिनेमा के बड़े-बड़े सितारे मानों एक दूसरे को पछाड़ने में लगे हैं की कौन सबसे ज्यादा एड करेगा। उधर गुटखा कंपनियाँ भी इस बात का फायदा उठाकर कोटेड इलायची की आड़ में अपना प्रचार-प्रसार बड़े धड़ल्ले से कर रही हैं। जिसका सबसे बड़ा शिकार युवा वर्ग हो रहा है क्योंकि वे इसे स्टेटस का सिंबल मानने लगते हैं। शुरुआत यहीं से होती है और फिर धीरे-धीरे सिगरेट, दारू-शराब, ड्रग्स, कोकीन, हीरोइन, चरस गाँजा और पता नहीं क्या-क्या। कुछ प्रमुख गुटखा कंपनी की पंचलाइन जो कि दिखलावे के लिए कोटेड इलायची के नाम पर होती हैं-
शिखर – सब बनेंगे फॉलोअर्स, सब बनेंगे फैन
विमल – बोलो जुबां केसरी
कमला पसंद – अनोखा स्वाद
पान बहार – पहचान कामयाबी की
राज श्री – स्वाद में सोच है
चूंकि अधिकांश युवा वर्ग इन्हें अपना आदर्श मानता है तो यह कभी खत्म न होने वाकई नशे कि दुनिया में जाने-अनजाने में अपना कदम रख देता है। जिसको अगर सही समय पर रोका न गया तो फिर उड़ता पंजाब जैसी हालत देखने को मिलती है। विज्ञापनों में पंचलाइन भी ऐसी रखी जाती है कि युवा उसे सोशल स्टेटस से जोड़कर देखने लगता है। Filmibeat में दिनांक 25.09.21 में छपे एक ख़बर के अनुसार नेशनल एंटी टोबैको ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष का खत नेशनल एंटी टोबैकोऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष डॅा. शेखर साल्करने इस बारे में अमिताभ बच्चन को एक खत भी लिखा है। इसमें लिखा गया है कि तंबाकू और पान मसाला का सेवन सेहत के लिए हानिकारक है। खास तौर पर युवाओं के सेहत के लिए नुकसान है। अमिताभ बच्चन पल्स पोलियो अभियान ब्रांड एंबेसडर हैं। इसी को देखते हुए उन्हें खुद को पान मसाला के एड से जल्दी अलग कर लेना चाहिए। पान मसाला का एड करके युवाओं को गुमराह एनजीओ के अध्यक्ष ने खत में ये भी लिखा है कि हिंदी सिनेमा के कई कलाकार पान मसाला का एड करके युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। जिसमें आज के समय में अमिताभ के साथ-साथ रणवीर सिंह, अजय देवगन, शाहरुख खान, सलमान, खान, टाइगर श्रोफ, महेश बाबू आदि हैं। इस खत में यह भी लिखा है कि पान सीधे तौर पर कार्सिनोजेन्स में बदल सकता है। जिससे मुँह का कैंसर होता है।
एच.जी.वेल्स ने ठीक ही कहा है कि- “कानूनी तौर पर झूठ बोलने को विज्ञापन कहते हैं”। नशे की दुनिया में ये विज्ञापन एंट्री गेट माने जा सकते हैं। जिसमें स्वागत करने के लिए ये बड़े-बड़े स्टार अपनी गलत भूमिका निभा रहे हैं। नशे के कारोबार (ड्रग्स, गाँजा, कोकीन) में जब ये खुद फँसते हैं या उनके बच्चे फँसते हैं तो उसे भी ये शायद शोहरत का हिस्सा ही मानते हैं। इस तरह की घटना पर अमिताभ जी की लाइन याद आ जाती है-
जो है नाम वाला वही तो बदनाम है,
इलायची के एड में गुटखे का होता नाम है।
(गंदा है पर बॉलीवुड का धंधा है ये…)