kya hai jaruri

कविता : क्या है जरूरी

जो बीत गया, क्या वो वापस नहीं आ सकता? जो बदल गया, क्या वो दुबारा नहीं बदल सकता? जो छूट गया, क्या वो दुबारा नहीं मिल सकता? जो रुक गया, क्या वो दुबारा नहीं शुरु हो सकता? हर समय बदलना,… Read More

अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन

अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर आज उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी के राजर्षि सेमिनार हॉल में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, इंडियन बैंक, वाराणसी तथा राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, यू.पी.कॉलेज, वाराणसी के संयुक्त तत्त्वावधान में आशुभाषण प्रतियोगिता तथा साइबर सुरक्षा जागरूकता… Read More

mushkil hai

कविता : मुश्किल है

मुझे तोड़ना बहुत मुश्किल है! छोड़ दो चाहे मुझे मुश्किल हालातों में चाहे तोड़ दो आत्मविश्वास मेरा हर बार मुझे ख़ुद से संभलना आता है! गिरा लो चाहें मनोबल जितना गिरकर मुझे ख़ुद से उठना आता है दे लो चाहें… Read More

पतहर पत्रिका के नये अंक का हुआ लोकार्पण

गुरुवार को साहित्यिक पत्रिका पतहर के नवीनतम अंक का लोकार्पण नागरी प्रचारिणी सभा, देवरिया में किया गया। सभा के उपाध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि सरोज पांडेय, मंत्री अनिल कुमार त्रिपाठी सहित उपस्थित साहित्यकारों द्वारा जनपद से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका के… Read More

dhumil

हिंदी कविता : धूमिल और उनके बाद

जनकवि सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ की 50वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आज हिंदी विभाग, उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी तथा प्रगतिशील लेखक संघ, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी के राजर्षि सेमिनार हॉल में पहले सत्र में ‘हिंदी कविता :… Read More

संगोष्ठी : आधुनिक हिंदी कविता

पंडित विद्यानिवास मिश्र की जन्मशताब्दी के अवसर पर आज ‘विद्याश्री न्यास’ एवं हिंदी विभाग, उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी के संयुक्त तत्पावधान में उदय प्रताप कॉलेज के राजर्षि सेमिनार हाल में ‘आधुनिक हिंदी कविता’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन… Read More

tumhari ye aankhen

कविता : तुम्हारी ये आँखें

तू हँस के देख या देख के हँस न जाने क्यूँ तेरी आँखें हर वक़्त कुछ कहती जरूर है। तू खुश रहे या बहुत खुश हर वक़्त तेरी आँखें कुछ छुपाती जरूर है। तू उदास भी रहे तेरी आँखें गम… Read More

कविता : कुंभ महापर्व है

कुंभ पर्व है, महापर्व है, दिव्य पर्व है, ब्रह्म पर्व है धर्म सनातन की आभा है, देवकृपा वरदान अथर्व है। ढ़ोल नगाड़े शंख बजाते, धर्म ध्वजा नभ में फहराते भस्म लगाये खड्ग उठाये शंभू नाद जयकार लगाते साधु संत तपस्वी… Read More