जो बीत गया, क्या वो वापस नहीं आ सकता?
जो बदल गया, क्या वो दुबारा नहीं बदल सकता?
जो छूट गया, क्या वो दुबारा नहीं मिल सकता?
जो रुक गया, क्या वो दुबारा नहीं शुरु हो सकता?
हर समय बदलना, बिछड़ना, आगे बढ़ना ही नियति क्यूँ?
क्यूँ जरूरी है हमेशा आगे चलते जाना?
कितना आगे जाना!
आख़िर क्या होगा, क्या मिलेगा?
दूर उतना दूर अकेले बस अकेले चलते चले जाना।
क्यूँ नहीं होती नियति?
किसी एक के लिए ठहर जाना, बस रुक जाना।
हर समय मंजिल हो अहम एवं आख़िरी पड़ाव, ये जरूरी तो नहीं,
कितना सुंदर होता, मंजिल से बेखबर साथ बस साथ चलते चले जाना,
बस साथ चलते चले जाना!
आख़िर क्या जरूरी है? जीवन के लिए!
आत्मसंतुष्टि के साथ जीवन!
या केवल सफलता पाना?