jis din

जिस दिन तुम्हारी दृष्टि में
पथ-गंतव्य अभिन्न प्रतीत होने लगे
समझ लेना, तुमने उपलब्धि की
उस प्रमाणित रेखा को मिटा दिया है।

जिस दिन प्रसन्नता और मुस्कुराहट में
फर्क करना कठिन हो जाए
समझ लेना तुमने अपने मन को
स्वयं ही हर लिया है।

जिस दिन प्रिय वस्तु, प्रिय मनुष्य,
मनचाहे लक्ष्य न मिलने के परे
उसके स्मरण मात्र से निश्छल अश्रु बहने लगे,
तो समझ लेना
तुमने अपने हृदय में
निस्वार्थ प्रेम को जगह दे दिया है।

जिस दिन प्रिय अप्रिय में भेद करना
तुम्हारी स्मृति से विस्मृत होने लगे,
समझ लेना तुमने स्वःचित् को
शांत कर लिया है।

जिस दिन दुःख में भी
दर्द का आभास न हो,
समझ लेना तुमने स्थिरता को
प्राप्त कर लिया है।

और जिस पल जिस क्षण अवसाद में भी
प्रमोद की अनुभूति होने लगे
समझ लेना तुमने ईश्वर को नहीं
अपितु ईश्वर ने स्वयं तुम्हें चुन लिया है।

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