जन्तु विज्ञान विभाग, उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी तथा भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के संयुक्त तत्त्वावधान में आज राजर्षि सेमिनार हॉल में ‘Aquatic Wildlife Conservation’ विषय पर एक कार्यशाला का उद्घाटन उदय प्रताप शिक्षा समिति के सचिव न्यायमूर्ति एस. के. सिंह ने किया। उन्होंने अपने उद्घाटन वक्तव्य में कहा कि आज प्रकृति अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। इसके लिए माननीय सभ्यता का असंयमित विकास मूल रूप से उत्तरदाई है; क्योंकि शहरी बस्तियों और औद्योगिक अपशिष्ट को सीधे गंगा जैसी पवित्र नदियों में बहाया जा रहा है। नदियों में फेंका गया प्लास्टिक मछलियों के माध्यम से पुनः मनुष्य के शरीर में पहुंच रहा है और गंगा आदि नदियों पर बांध बनाकर उनके स्वाभाविक बहाव को रोका जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि गंगा की सफाई के लिए ‘गंगा एक्शन प्लान’ की शुरुआत 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने तथा ‘नमामि गंगे’ मिशन की शुरुआत माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जिस महान उद्देश्य को लेकर किया था वह पूरा होता हुआ नहीं दिखाई देता। इसलिए आज गंगा की सफाई के लिए एक बड़े सामाजिक अभियान की नितांत आवश्यकता है।

आज की इस कार्यशाला में आए हुए अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह ने किया। उन्होंने ने अपने स्वागत वक्तव्य में कि गंगा जैसी नदियों के किनारे की अधिकांश मानवीय सभ्यताओं का विकास हुआ है। इसलिए जीवित सभ्यताओं का अस्तित्व गंगा जैसी पवित्र नदियों के संरक्षण पर ही निर्भर है।
कार्यशाला का संचालन प्रो. सुधीर कुमार राय ने किया तथा आभार डॉ. संजय श्रीवास्तव ने दिया। आज माननीय सचिव एस.के. सिंह द्वारा जन्तु विज्ञान विभाग के सेमिनार हॉल एवं फिस बायलोजी लैब का उद्घाटन भी किया गया। इस अवसर पर प्रो. बनारसी मिश्र, प्रो. नरेंद्र प्रताप सिंह, प्रो. शशिकांत द्विवेदी, प्रो. संत राम बरई, डॉ. डी. डी. सिंह, प्रो. गोरख नाथ, प्रो. पंकज कुमार सिंह, श्री ए. के. सिंह, डॉ. बृजेश कुमार सिन्हा, डॉ. अनुराग उपाध्याय, डॉ. सतीश प्रताप सिंह, डॉ. अश्विनी कुमार निगम, डॉ. विनय कुमार सिंह, डॉ. कीर्ति सिंह, श्री हिमांशु सिंह सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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