नवजागरण आधुनिक भारतीय इतिहास का एक ऐसा पड़ाव था, जहाँ से संभवतः सभी आधुनिक विचार, सभी आधुनिक विमर्शों की रूपरेखा तैयार हुई। वर्तमान में जितने भी विमर्श हैं, उन सबका एक महत्त्वपूर्ण आधार भारतीय पुनर्जागरण में रूपायित होता है। नवजागरण… Read More
नवजागरण आधुनिक भारतीय इतिहास का एक ऐसा पड़ाव था, जहाँ से संभवतः सभी आधुनिक विचार, सभी आधुनिक विमर्शों की रूपरेखा तैयार हुई। वर्तमान में जितने भी विमर्श हैं, उन सबका एक महत्त्वपूर्ण आधार भारतीय पुनर्जागरण में रूपायित होता है। नवजागरण… Read More
यह शत प्रतिशत सत्य है कि आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की साहित्यिक दृष्टि को समझे बगैर हिन्दी साहित्य को समझ पाना आज भी आकाश कुसुम जैसा है। उनकी स्थापनाओं से टकराए बगैर न तो समीक्षक आगे बढ़ सकते हैं और न… Read More
सौंदर्यशास्त्र स्पष्ट रूप से दो शब्द सौन्दर्य और शास्त्र के मेल से बना है। वस्तुतः सौन्दर्य है क्या? किसी भी वस्तु का वह गुण या कारण है जो प्रेक्षक को आनंद प्रदान करता है, सौन्दर्य कहलाता है। शास्त्र का सीधा… Read More
मैं अपना नन्हा गुलाब कहाँ रोप दूँ…!!! घनानंद कहते हैं ‘लोग हैं लागि कवित्त बनावत/मोहिं तो मेरे कवित्त बनावत!’ लगभग यही स्थिति आधुनिक हिंदी कवियों में केदारनाथ सिंह की रही। उनकी कविताओं में कभी यह नहीं दिखा कि कवि ने कविता का… Read More
‘साहित्य और सिनेमा का संबंध एक अच्छे अथवा बुरे पड़ोसी, मित्र या संबंधी की तरह एक दूसरे पर निर्भर है। यह कहना जायज होगा कि दोनों में प्रेम संबंध है ।”[1] – गुलज़ार साहित्य और सिनेमा दोनों ही ऐसे माध्यम… Read More
प्रगतिशील चेतना संपन्न रचनात्मक भीष्म साहनी के नाटक, हिन्दी नाटकों के संसार में अपनी खास पहचान रखते हैं। यों उनके नाटकों में विद्यमान द्वंद्वात्मक वितान उनके कथा साहित्य में भी पूरी तौर पर समाया है। यही कारण है कि उनकी… Read More
1857 का समय भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है। ये ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह था। यह विद्रोह दो वर्षों तक भारत के अवध क्षेत्रों में चला। इस ‘सत्तावनी क्रांति’ का आरंभ छावनी क्षेत्रों में छोटी-छोटी… Read More
अपने जातीय रूप की खोज करना, अपनी जातीय संस्कृति की मूल्यवान विरासत को पहचान और उस पर गर्व करना तथा अपनी जातीय संस्कृति के विकास के लिए अपने राष्ट्र को संगठित करने का संघर्ष चलाना। यह सब मानव समाज में… Read More
प्रवासी साहित्यकारों में सुधा ओम ढींगरा का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। सुधा ओम ढींगरा का साहित्य दो संस्कृतियों पर आधारित होने के कारण उनके साहित्य की मूल संवेदना प्रवासी न होकर ‘अन्त: सांस्कृतिक’ पर आधारित हैं। भारतीय… Read More
मेहनत वह अनमोल कुंजी है, जो भाग्य के बंद कपाट खोल देती है। यह राजा को रंक और दुर्बल मनुष्य को सबल बना देती है। यदि यह कहा जाए कि श्रम ही जीवन है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। गीता… Read More