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व्यंग्य : तब क्यों नहीं…

“ये जमीं तब भी निगल लेने को आमादा थीपाँव जब जलती हुई शाखों से उतारे हमनेइन मकानों को खबर है ना मकीनों को खबरउन दिनों की जो गुफाओं में गुजारे हमने “ये सुनाते हुए उस कश्मीरी विस्थापित के आँसूं निकल… Read More

संस्मरण : साइकल

मुझे साइकल चलाना सीखना था। पर दुर्भाग्य से मेरे घर में साइकल नही थी। मोहल्ले के सभी बच्चे साइकल चलाते रोज दिख जाया करते थे। उन्हें साइकल चलाते देख कर मुझे रोज उनसे ईर्ष्या और खुद पर शर्मिंदगी महसूस होती। एक… Read More

क्रिस्टोफर नोलन पर विशेष

Memento से लेकर Dunkirk तक का सफर बड़ा ही रोचक रहा। नोलन साहब ऐसे फिल्म निर्देशक, लेखक एवं प्रोड्यूसर हैं जिनकी प्रत्येक फिल्में मैंने देखी हैं। आगामी फिल्म #Tenet का भी बेसब्री से इंतज़ार है।  पूरी दुनिया इनके काम की… Read More

जन्मदिवस पर विशेष : ‘हरिशंकर परसाई’, ‘तुलसीदास’, ‘गिरिजाकुमार माथुर’

हिंदी साहित्य के तीन महान विभूतियों का आज (22 अगस्त) जन्मदिवस है। जिनमें से एक हिंदी साहित्य में व्यंग्य की पहचान और मेरे प्रिय लेखक ‘हरिशंकर परसाई’ जी हैं जिसने ‘भोलाराम का जीव’, ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ आदि व्यंग्य लिखा… Read More

प्रसंग : प्रेम

“उनको बता दो की दुनिया कई हिस्सों में विभक्त है, उनके सिद्धान्तों की प्रयोगिकता हर जगह नही चल सकती… “”रात हर जगह गहरी होती है और जब कभी आसमान पर तारे छिटकते है तो सबका मन मचलता है प्रेमी की… Read More

वर्ल्ड फोटोग्राफी डे 2019

तस्वीरें बहुत कुछ कह जाती है बिना कहे लेकिन जब इन्हीं तस्वीरों पर कुछ बात कहनी हो तो शब्द मानों कम से रह जाते हैं। फोटोग्राफी विश्व को एक नायाब तोहफ़ा है। इसकी शुरुआत कब, कहाँ और कैसे हुई आज… Read More

जन्मदिन पर विशेष : “पर्सनल से सवाल करती हैं” गुलज़ार के गीतों की भावनाएं

भूमंडलीकरण ऐसी विचारधारा है जो भारत में पश्चिम से उधार ली गयी थी। उसका प्रचार प्रसार यह ‘लॉलीपाप’ दिखाकर किया गया कि अब भारत के लोग भी विदेशी युवाओं की तरह ‘पिज्जा बर्गर’ और ‘मैगी’ खा सकेंगे और चमचमाती कारों… Read More

भाषा, साहित्य और समाज

साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है। साहित्य एक ऐसा दर्पण है जो वक्त के सापेक्ष अपनी छवि को परिवर्तित करता रहता है। एक लेखक या साहित्यकार अपनी कलम की तूलिका से श्वेत पत्रों पर जीवन के रंग बिखेर देता… Read More

देवरिया से इज़रायल तक का सफ़र

मेरा नाम नवीन मणि त्रिपाठी है। हाल ही में मैंने इजराइल के बेन गुरियान विश्वविद्यालय (Ben-Gurion University of the Negev) से पी-एच.डी. कंप्लीट की है। अभी फिलहाल Particle Scientist के तौर पर बेल्जियम में काम कर रहा हूँ। देवरिया जिला… Read More

हादसे: स्त्री मुक्ति के संदर्भ में

हिंदी साहित्य में स्त्री विमर्श के अंतर्गत समय–समय पर स्त्री जीवन की नई समस्याओं और नए मुद्दों पर तार्किक ढंग से चर्चा की जा रही है। साहित्य की अन्य विधाओं में जहाँ लेखक इन परिवर्तनों को आत्मसात कर प्रवक्ता के… Read More