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गीत : आंसू

मेरे आंसुओ की कीमत, कोई क्या समझेगा। लगे है घाव जो दिल पर, उन्हें कोई क्या समझेगा। क्या कोई मेरे घावों पर, मलहम आ कर लगाएगा। मेरे दुखते हुए दिल को, कोई तो धैर्य बंधायेगा।। दिल की धड़कने मेरी, बहुत… Read More

गीत : प्यार का सन्देश

रेत पर नाम लिखने से क्या होगा। क्या उसको संदेश तुम दे पाओगे । जब वो आये यहां पर घूमने को , उसे पहले कोई लहर आ जायेगी। जो तुम ने लिखा था संदेश। उसे लहर बहाकर ले जाएगी। रेत… Read More

मूवी रिव्यू : सीरी

पिछले 15 सालों में खेती से हुए नुकसान से लगभग 7300 किसान मजदूरों ने आत्महत्या कर ली। यह आँकड़ा कहने सुनने में छोटा लग सकता है किंतु सोचकर देखें कि जिन किसानों की बदौलत हम अनाज, फल, सब्जियां खाते हैं… Read More

रश्मिरथी का सफल मंचन

रश्मिरथी का सफल मंचन विट्स महाविद्यालय के विहंगम प्रेक्षागृह में किया गया।  नाटक रश्मिरथी जिसका निर्देशन एवं नाट्य रूपांतरण लोकरंग नाट्य संस्थान के चिर परिचित नाम अमित कुमार शुक्ल ने किया। रश्मिरथी राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की अनुपम कृति है,… Read More

व्यंग्य : वर्क फ्रॉम होम

आये दिन अख़बारों में इश्तहार आते रहते हैं कि घर से काम करो ,घण्टों के हिसाब से कमाओ,डॉलर,पौंड में भुगतान प्राप्त करो।जिसे देखो फेसबुक,व्हाट्सअप पर भुगतान का स्क्रीनशॉट डाल रहा है कि इतना कमाया,उतना माल अंदर किया ।महीने भर की… Read More

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मूवी रिव्यू : मोगली

आदिवासियत को महसूस करना है तो इस फ़िल्म को देखिए… इस जंगल की निगाहों में देखी हर शुरुआत है मैंने । देखा हर अंजाम । कहाँ है मेरा नाम । एक दिन इंसान जंगल में आया और जंगल ने अपनी… Read More

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मूवी रिव्यू : हर

फिल्म ” Her ” बहुत महान या असाधारण नही है। पर फिल्म का प्लॉट एक ऐसी दुनिया का है जहाँ समाज में प्यार की इतनी कमी है कि लोग ऑपरेटिंग सिस्टम, यानि की कंप्यूटर के एक प्रोग्राम से प्यार करने… Read More

कविता : होली का रंग

तुम्हें कैसे रंग लगाए, और कैसे होली मनाए? दिल कहता है होली, एकदूजे के दिलों में खेलो। क्योंकि बहार का रंग तो, पानी से धूल जाता है। पर दिल का रंग दिल पर, सदा के लिए चढ़ा जाता है।। प्रेम… Read More

कविता : होली का त्यौहार

आओ हम सब, मिलकर मनाएं होली। अपनों को स्नेहप्यार का,  रंग लगाये हम। चारो ओर होली का रंग,  और अपने संग है। तो क्यों न एकदूजे को, रंग लगाए हम। आओ मिलकर मनाये, रंगो की होली हम।। राधा का रंग… Read More

कविता : क्यूंकि मैं सत्य हूँ

*क्योंकि मैं सत्य हूं* मैं कल भी अकेला था आज भी अकेला हूं और संघर्ष पथ पर हमेशा अकेला ही रहूंगा मैं किसी धर्म का नहीं  मैं किसी दल का नहीं सम्मुख आने से मेरे भयभीत होते सभी जानते हैं… Read More