फिल्म ” Her ” बहुत महान या असाधारण नही है। पर फिल्म का प्लॉट एक ऐसी दुनिया का है जहाँ समाज में प्यार की इतनी कमी है कि लोग ऑपरेटिंग सिस्टम, यानि की कंप्यूटर के एक प्रोग्राम से प्यार करने लगते है, लोग ऑपरेटिंग सिस्टम से अपनी फीलिंग्स, इमोशन्स शेयर करने लगते हैं। आज के डिजिटली परिवेश में यह फिल्म जरूर देखी जानी चाहिए, जहाँ आज की दुनिया में ऑनलाइन डेटिंग, मैरिज, रिलेशनशिप आदि की भरमार है। वहीं पर यह फिल्म उन लोगो के कनबोजे में जोर का कंटाप मार कर उन्हें होश में लाने का प्रयास करती है।
दरअसल बात यह है कि जब एक रिश्ते में किसी तीसरे इंसान का प्रवेश हो जाता है, तब मनुष्य धीरे – धीरे उस इंसान को भुलाने लग जाता है जिसके साथ वह कभी साथ जीने मरने की कसमें खाता है। मनुष्य की प्रकृति बेहद अजीब होती है, मनुष्य एक ऐसा जानवर है जिसके मूड स्विन्ग्स के बारे में विज्ञानी कितनी भी रिसर्च क्यों ना कर लें, वे इसे समझने में असफल ही रहेंगे। पर रिश्तों में प्यार, गुस्सा, झगड़ा, तकरार, रूठना, मनाना चलता रहता है। हम वही लोग है जो दिल टूटने या दिल लगने पर खुलेआम कमिटमेंट करते फिरते हैं कि इसके बाद कोई दूसरा नही आएगा जीवन में। पर जब किसी दूसरे का प्रवेश होने लगता है तब हम पुराने किये वादों, मुलाकातों को इस तरह भुला देते हैं जैसे वो हमारे जीवन का कभी हिस्सा ही ना रहे हों।
पर जब वही तीसरा इंसान एक कम्प्यूटर का प्रोग्राम हो, जो हमारी भावनाओं, अचार – विचार आदि को समझने लगे। और मनुष्य उसके साथ रिश्ता बना ले, तो उस रिश्ते का क्या परिणाम होगा यह हमें निर्देशक स्पाइक जोंज़े के निर्देशन में देखने को मिलती है। मैं निर्देशक के द्वारा दी गई फिलॉस्फी से काफी हद तक इत्तेफाक रखता हूँ एवं प्रभावित भी हूँ। निर्देशक ने बहुत सम्भाल कर, बचाकर, संतुलित रूप से फिल्म की कहानी लिखी है, जिसे अकेडमी अवार्ड में भी सराहा गया था।
कहानी का कांसेप्ट नया है पर पुराना है, कलाकारो की एक्टिंग भी ठीक है और सन्तुष्टिप्रद है। एमी एडम्स जैसी वरिष्ठ अभिनेत्री ने बिना मेकअप किये फ़िल्म में सशक्त अभिनय किया है, यह बात साफ़ समझ आती है कि अब वे अलग तरह के किरदारों को चुन रही हैं, उनकी दिलेरी को सलाम। परन्तु इस फिल्म में उनके पास बहुत अधिक सीन्स मौजूद नही थे।
दरअसल जब किसी फ़िल्म में कोई बड़ा अभिनेता जो असल मायनो में अभिनेता होता है, यदि वह काम कर रहा होता है तो साथी कलाकारों को कभी तवज़्ज़ो नही प्राप्त होती। यह बात सबसे ज्यादा सही साबित होती है वाकिन फ़ीनिक्स की फिल्मों में। दर्शक भी सिर्फ उनकी एक्टिंग देखने जाते हैं, और पसन्द करते हैं, इसलिए साथी कलाकार का अधिक हस्तक्षेप वे बर्दाश्त नही कर पाते। निर्देशक यह सारी बातें अपने जेहन में रखकर ही फ़िल्म निर्माण करता है।
स्कारलेट जॉनसन मेरी पसंदीदा अभिनेत्रियों में से एक है। वे फिल्म में ऑपरेटिंग सिस्टम की आवाज है। वे एक्टिंग नही कर रही बल्कि उनका वॉइस ओवर है पूरी फिल्म में, जो भी है लाज़वाब है। क्रिस pratt के पास सीन कम है पर मस्त है। वे इतने सहज दिखते है कि पहले पहल तो वे पहचान में ही नही आते।
वाकिन की बीवी का किरदार रोनी मारा ने निभाया है। फिल्म में वे बेहद खूबसूरत लगी है। वाकिन और उनके बीच के सम्बन्ध, लव मेकिंग सीन्स सब परफेक्ट है पर बहुत कम है।
बात द वाकिन फ़ीनिक्स की, कि जाय तो ये आदमी अद्भुत है। यह अभिनेता एक्टिंग करता भी है या नही मुझे समझ नही आता। यही बात अभिनेता इरफ़ान खान के साथ भी लागू होती है। परन्तु फ़िल्म ” Her ” में मुझे उनकी एक्टिंग में अत्यधिक नाटकीयता का समावेश दिखाई दिया इस बार उनकी एक्टिंग कुछ सीन्स में ऐसी लगी जैसे वे अपने किरदार में आ – जा रहे हो। या वे किसी नाटक में अनमने ढंग से कोई नीरस किरदार निभा रहे हो।
दूसरी बात फिल्म में क्लोजप शॉट का उपयोग भयंकर और भरमार रूप से किया गया है। वाकिन के इमोशन्स निकालने के लिए ही यह किया गया होगा, निर्देशक और कर भी क्या सकता था पर यह बात भी गले से नही उतरती। हालाँकि उनका लुक जबर्दस्त लगा और कुछ दृश्यों में उनका अभिनय उत्कृष्ठ था।
अन्य कलाकारों के लिए फिल्म में ख़ास जगह नही थी पर जो भी जितना था, उपर्युक्त था।
बात स्क्रीनप्ले की जरूर की जानी चाहिए क्योंकि 2014 का बेस्ट ओरिजिनल स्क्रीनप्ले के लिए गोल्डन ग्लोब एवं अकेडमी अवार्ड दोनों फिल्म के लेखक एवं निर्देशक स्पाइक जोंज़े को प्राप्त हुआ था। स्क्रीनप्ले अपने आप में बिलकुल नया परन्तु ठीक वैसा ही था कि जैसे “किताब नई पर बातें पुरानी” हो। पश्चिम देशों की फिल्म्स की कहानियां बिना सेक्स के पूरी नही होती तो उसका भी नया एवं अनूठा प्रयोग किया गया। जिसमें फिल्म का अभिनेता ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ सम्बन्ध बनाता है। लेखक की कलम ने जितनी भी बातें लिखी हम उन्हें कभी नकार नही सकते, बल्कि वे हमें सोचने पर मजबूर अवश्य करती हैं।
फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी होयते होयतमा ने की है जिनका अब बड़ा नाम बन चुका है। इस तरह के विषयों की फिल्म्स में उनका काम हमेशा देखने लायक रहता है और आँखों को इस तरह की सिनेमेटोग्राफी देख कर “Her” जैसी लम्बी फ़िल्म देखने की शक्ति मिलती है।
फ़िल्म का बैकग्राउंड संगीत वाकई में कमाल का है। मुझे बेहद पसंद आया। फ़िल्म का संगीत फिल्म में दिखाई जा रही परिस्थितियों पर आधारित है , कई बार हम इमोशनल फील करते है, फ्रेश फील करते है तो कई बार किसी अलग दुनिया में प्रवेश करते हैं। फिल्म का संगीत फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने का कार्य करता है। कमाल… कमाल और कमाल ।
निर्देशन की बात की जाय तो इस तरह की फ़िल्म जिसकी कहानी स्वयं निर्देशक ने लिखी हो उस पर काम करना आसान तो रहता है पर कम चुनौतीपूर्ण नही होता होगा। क्योंकि फिल्म काफी लंबी है, कुछ दृश्य जबर्दस्ती खींचे गए हैं। फिल्म एक इमोशन्स को काफी समय तक पकड़े रहती है, जिससे दर्शक बोर भी होते हैं। परन्तु अच्छी बात ये है कि फ़िल्म कहानी कहने और समझाने में सफल होती है। निर्देशक फ़िल्म के माध्यम से बहुत ही भावनात्मक सन्देश देने की कोशिश करता है। यह फ़िल्म देखने के बाद कई टूटे रिश्ते जुड़ेंगे और कई लोगों को आत्मनिरीक्षण करना ही पड़ेगा क्योंकि फिल्म पूरे दम खम के साथ अपनी बात रखती है।
स्टार कास्ट – वाकिन फ़ीनिक्स, एमी एडम्स, क्रिस प्रैट, रोनी मारा, स्कारलेट जॉनसन।
निर्देशक एवं लेखक – स्पाइक जोंज़े
अवधि – 126 मिनट