आये दिन अख़बारों में इश्तहार आते रहते हैं कि घर से काम करो ,घण्टों के हिसाब से कमाओ,डॉलर,पौंड में भुगतान प्राप्त करो।जिसे देखो फेसबुक,व्हाट्सअप पर भुगतान का स्क्रीनशॉट डाल रहा है कि इतना कमाया,उतना माल अंदर किया ।महीने भर की नौकरी पर एक दिन वेतन पाने वाला फार्मूला अब आदिम लगने लगा था।यूट्यूब पर भी कूल डूड और डूडनियों ने उत्पात मचा रखा है कि वे सर्वे, इश्तहार,ईमेल के जरिये लाखों कमा रहे हैं ।कोई सिर्फ इंस्टाग्राम पर कपड़े बदल बदल कर सुबह शाम फोटो लगा कर पैसे कमा रहा है ।मैं भी आह भरता और सोचता कि
“रोज अख़बारों में पढ़कर ये ख्याल आया हमें 
कि इस तरफ आती तो हम भी देखते फसले बहार”
टीवी पर भी वर्क फ्रॉम होम के इश्तहार पटे पड़े रहते कि सिर्फ मोबाइल पर कुछ घण्टे काम करें और लाखों कमाएं।मेरी शरीके हयात ने लाकर एक कटिंग मेरे चेहरे पर मारी और ताना देते हुए बोलीं “दिन भर उसी मोबाइल में कविता ,कहानी लिखते रहते हो ,और कोई घास नहीं डालता”।
मैंने हिम्मत से जवाब दिया -“मैं घास नहीं खाता,और ईश्वर की कृपा से मजे से रोटियां तोड़ रहे हैं ।पूरा खानदान सेहतमंद है ,मैं खाने में परहेज रखता हूँ और तुम तो माशाअल्लाह दुबले होने की दवा भी करा रही हो “।
पत्नी ने मुझे फटकारा “वजन तो तुम्हारे दाल -चावल और हैवी फ़ूड खरीद कर लाने की वजह से हुआ है ।तुम फाइबर प्रोटीन की प्रॉपर डाइट लाते ही नहीं ।और मेरी स्पेशल बेल्ट,ग्रीन टी ,ब्राउन राइस भी जब तब अवेलेबल नहीं हो पाती ।वो मिसेज शुक्ला को देखो,नहीं नहीं तुम तो हमेशा मिसेज शुक्ला को ही देखते रहते हो ,यू स्टूपिड मैन,,,”
मैंने उनसे विनीत स्वर में कहा “शांत रहो, अब बच्चों के सामने यही सब बचा है ।आज मुझसे क्या चाहती हो”।
“कटिंग पढ़ो” लेडी जहाँपनाह का हुक्म हुआ।
मैंने पेपर कटिंग को पढा , जिसमें घर से काम करने के बारे में था कि “बस घर पर बैठ कर थोड़ी देर काम करें और महीने लाखों कमाएं और साथ में कुछ मोबाईल नंबर भी लिखे थे “।विज्ञापन पढ़ कर मैंने पत्नी को समझाया कि ये सब फर्जी बातें हैं और ऐसा नहीं होता है ,पैसा इतनी आसानी से नहीं मिलता है जिंदगी में ,वरना इन्जीनियरिंग पढ़कर लोग बड़ा पाव बेचने वाली कम्पनियों में नौकरी नहीं कर रहे होते।आम आदमी की उम्र गुजर जाती है लाख रूपये जोड़ने में,यहां तो महीने भर में ही हमारी श्रीमती जी लखपति होने की यात्रा पर निकल चुकी हैं ,वो भी घर पर बैठे बैठे।   वो और स्पेशल चावल होते हैं जो जो इसकी टोपी उसके सर करते रहते हैं ,घर बैठे -बैठे  ये विशिष्ट लोग करोड़पति, अरबपति बनते रहते हैं।बाज़ार के विशेषज्ञ इस बात की माथापच्ची करके हार चुके हैं कि क्यों दिन रात खेती -किसानी करने वाला किसान अपनी लागत तक नहीं निकाल पाता और आत्महत्या करने जैसा पीड़ादायक कदम उठा लेता है ।जबकि घर बैठे राजधानी से सैकड़ों किलोमीटर दूर ऊसर जमीनों पर लोग लाखों करोड़ों रूपये की आय दिखाते हैं।जन्मजात प्रतिभा और कला के संस्थानों में पढ़ाई और सतत अभ्यास के बाद भी आम पेंटर दो जून की रोटी नहीं जुटा पाता और लोगबाग अपना फुल टाइम काम करते हुए रातोंरात करोड़ों की पेंटिंग के वारे-न्यारे कर डालते हैं। लेकिन कहां राजा  भोज कहाँ,,,,,,”।पत्नी की लखपति बनने की हुंकार देखकर मुझे बाबा तुलसीदास याद आये कि
“तुलसी कबहुँ न त्यागिये
अपने कुल की रीति 
लायक ही सों कीजिये
ब्याह,बैर अरु प्रीति”
अब कुल की तो हमारे यही रीति थी ,दिन रात परिश्रम करो,ईमानदारी से रोजी -रोटी कमाओ और मितव्ययता से रहो, विवाह तो कुंडली के गुणों पर हुआ था ,कम कमाई में किसी दूसरे से प्रीत करने की गुंजाईश नहीं थी ,और पत्नी से बैर करने की हिमाकत कोई भी आम हिंदुस्तानी कर नहीं सकता।सो मैंने पत्नी के बताये नंबर पर फोन किया और स्पीकर आन कर दिया।आनन -फानन में उसने मुझे स्कीम बतायी और मेरे कुछ समझने से पहले ही पत्नी हर्षोळास से उछल पड़ीं मैंने सोचने के लिए फोन कर रही महिला से समय मांगा ,मगर पत्नी के आँखें तरेरने के कारण मुझे हामी भर देनी पड़ी। पत्नी का चेहरा गर्व से दमकने लगा मानो वो  अभी से ही लाखों कमाने लगी हों।मुझे बशीर बद्र साहब याद आये –
“गुरुर उस पे बहुत सजता है, मगर कह दो 
इसी में उसका भला है गुरुर कम कर दे”
 मगर ये कहे कौन, बिल्ली के गले में घंटी बांधे तो कौन? सो चंद रोज ही में ढाई लाख की मशीनरी का कहे जाने वाला सामान पचास हजार में हमारे घर आ गया ,टी शर्ट प्रिंटिंग का काम शुरु करने के लिए।मशीन तो आ गयी, अब कच्चा माल कहां से आये।तीस हजार उसके एडवांस जमा हुए ,और फिर सीडी ,यू ट्यूब देख देखकर टी शर्ट की प्रिंटिंग का काम किया और जब माल को हाथों हाथ उठा लेने वाली कंपनी को माल देने के लिए फोन और ईमेल किया गया तो कम्पनी नदारद,फोन बंद,ईमेल वापस आ गए और जिन खातों में पैसे भेजे थे वो नदारद ।पुलिस के पास गया तो उन्होंने मजा लिया कि “ये तो व्यापार है ,नुकसान हुआ तो हमारे पास आये ,फायदा होता तो हमारे पास आते क्या। और आप घर से व्यापार कर रहे थे बिना पंजीकरण के जो कि अवैध है,आप पर कानूनी कार्यवाही होगी “।ये सुनकर मैं डर के मारे कोतवाली से भाग आया । चंद रोज बाद सेल्स टैक्स वाले आ धमके , उन्होंने पूरे माल का अनुमान लगाकर तीस हजार का जुर्माना ठोंक दिया।
खासी फजीहत हुई, अब वो प्रिंटेड टीशर्ट पड़ी है रिश्तेदार उसे पोंछा लगाने गाड़ियां साफ़ करने के लिए अक्सर दो -चार पीस उठा ले जाते हैं। मैं जुर्माने की रकम अदा कर चुका हूँ ,फिर भी एक दो मुकदमे गले पड़े हैं ।कुछ बोलता हूं तो पत्नी कहती है कि “आपके पास कॉमन सेन्स नहीं था क्या,जब खुद बात किये थे तो और किसका दोष “। घर -बाहर सभी जगह मेरी खूब जग हंसाई हुई कि चले थे लखपति बनने, लाखो गंवा कर आ गए। इस वर्क फ्रॉम होम ने मुझे कहीं का ना छोड़ा, ना वर्क के लायक, ना होम के काबिल।नेपथ्य में कहीं शैलेंद्र साहब का गीत  बज रहा है “सजनवा बैरी हो गए हमार”

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