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कविता : क्यों हो रहा

तेरे मुस्कराने का मुझको न जाने क्यों आभास होता है। तेरी तस्वीर बनाने का मेरा दिल क्यों कहता है। न हमने तुमको देखा है न तुमने हमको देखा है। फिर भी तुमसे मिलने को मेरा दिल क्यों कहता है।। पलक… Read More

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कविता : हिम्मत

न देखो तुम अब मुझको कुछ इस तरह से। मुझे कुछ भी नहीं होता तेरे अब देखने से। बड़ी मुश्किल से संभाली हूँ तुम्हारी उस बेवफाई से। मुझे जी कर दिखाना है तुम्हारे उस दुनियां को।। मेरा जीना तेरी हार… Read More

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कविता : गुरु गोविंद

गुरु पद, गोविंद से बड़ा, गोविंद गुरु अनेक। गर गुमान/गुरुर गुरु से अलग, गोविंद ऊपर पेठ। बने मनुष जो मनुष मन, अहं, काम क्या काम। मृत्युलोक तब स्वर्ग सम, *अजस्र* पुरुषार्थी राम। +460

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कविता : मोहब्बत की ज्योत

बना है मौसम कुछ ऐसा की दिल खिल उठा है। नजरा देखो बाग का कैसे फूल खिल रहे है। जिन्हें देख कर हमारी मोहब्बत मचल उठी है। और उनकी यादों में खोकर तड़पने हम जो लगे है।। बनाया था इसी… Read More

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कविता : हिंदी

क्यों हिंदी हिंदी करते हो, हिंदी का दम क्यों भरते हो, है तो बस एक भाषा ही, क्यों घमंड इसका करते हो। अस्तित्व है ये सिर्फ़ भाषा नही, प्रगति की है अब आशा यही, है जन जन को ये जोड़ती,… Read More

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लेख : हिन्दी राष्ट्रभाषा बने

हिन्दी सीखे और सिखाएं, हो हिन्दी प्रसार । राजभाषा से राष्ट्रभाषा तक, हो हिन्दी विस्तार । हिन्दी सज्जित हो विश्व गुलिस्ता, शीघ्र ही जगत- जुबान । आओ ! अजस्र हम सहर्ष करे, अपनी हिन्दी से प्यार । हिन्दी सी कोई… Read More

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कविता : फिर रात

सत्य एक, बीती दो रात है ये दो चांदनी, फिर कहे कोई बात है रूको नहीं, झुकों नहीं दिन भी है, फिर रात है। दिशा प्रशस्त हो चुकी कदम – कदम पे कलम धार है जो रूके नहीं चलते चले… Read More

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कविता : पूर्वजन्म की यादें

मेरे मुस्कराने का तुझे भला क्यों इंतजार है। तेरे आँखो में क्या मेरे लिए प्यार है। तभी तो तुम मुझे हमेशा खोजते हो। पर अपने दिलकी बातें क्यों कह नहीं रहे हो।। तेरे मुस्कराने का मुझे सदा एहसास होता है।… Read More