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तेरे मुस्कराने का मुझको
न जाने क्यों आभास होता है।
तेरी तस्वीर बनाने का
मेरा दिल क्यों कहता है।
न हमने तुमको देखा है
न तुमने हमको देखा है।
फिर भी तुमसे मिलने को
मेरा दिल क्यों कहता है।।

पलक झकपाते ही क्यों तुम
मेरे दिल में आ जाते हो।
फिर दिलकी पीढ़ा को क्यों
बिना वजह बढ़ाते हो।
कभी रुलाते हो तो
कभी हँसाते हो तुम।
और प्रेम सागर के
हमें दर्शन कराते हो।।

बहुत कुछ खोकर भी
न जाने क्यों जिंदा हूँ।
और दुनियां वालो के ताने
न जाने क्यों सुन रहा हूँ।
लगी है आस अब भी
उनके वापिस आने की।
और रूठी किस्मत को
फिर से मनाने की।।

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