वह किसी नन्ही सी गुड़िया के लिए सुकून का ठिकाना, वह किसी निराश सर के लिए मजबूत कंधे का बहाना, वह किसी बच्चे को दौड़ते हुए समय से स्कूल पहुंचाना, वह किसी बूढ़ी माँ के रोगों का एकमात्र दवाखाना, वह… Read More

वह किसी नन्ही सी गुड़िया के लिए सुकून का ठिकाना, वह किसी निराश सर के लिए मजबूत कंधे का बहाना, वह किसी बच्चे को दौड़ते हुए समय से स्कूल पहुंचाना, वह किसी बूढ़ी माँ के रोगों का एकमात्र दवाखाना, वह… Read More
बाप ही एक ऐसी सम्पत्ति होता है। जिसे बेटा पूरी तरह दूसरे भाईयों को देने के लिए तैयार रहता है। बुढ़ापा तो उसी दिन शुरू हो जाता है। जब हम जाने अनजाने उसके खिलाफ लड़ाई शुरू कर देते हैं। पिता… Read More
हाल ही में एक ट्वीट ने काफी सुर्खियां बटोरी , “पूत कपूत तो क्यों धन संचय पूत सपूत तो क्यों धन संचय” जिसमें अमिताभ बच्चन साहब ने सन्तान के लिये धन एकत्र ना करने का स दिया उपदेश दिया है… Read More
क्या था बचपन याद आ रहे है हमें, वो बचपन के दिन। जिसमे न कोई चिंता, और न ही कोई गम। जब जैसा जहां मिला, खा पीर हो गए मस्त। न कोई जाति का झंझट, न कोई ऊंच नीच का… Read More
मरजावां फ़िल्म की पटकथा 80 के दशक की सी है। ऐसी कुछ फिल्में अनिल कपूर, सनी देओल और जैकी श्रॉफ ने भी की थी। अब लगता है, लगभग तीन दशक बाद सिद्धार्थ मल्होत्रा की बारी है। फ़िल्म मरजावां का सेट… Read More
हिन्दुस्तान की धरती बहुत से महायुद्धों की गवाह रही है। वर्तमान समय में भले ही यह हमें हमारी मातृभूमि को बचाने के लिए अपने पड़ोसी मुल्कों से सीमा की सुरक्षा करनी पड़ती है। लेकिन एक समय वो भी था जब… Read More
आज छायावाद के प्रवर्तक कवि, लेखक, निबंधकार, उपन्यासकार जयशंकर प्रसाद की पुण्यतिथि है। दिनांक 15 नवम्बर 1937 हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक इस कवि का दुनिया से प्रस्थान हो गया था। उन्होंने हिन्दी काव्य… Read More
Happy Children’s Day to All … क्योंकि हम सब अपनी माँ के लिए बच्चे ही तो हैं और हमेशा बच्चे ही रहेंगे। तो आइए आज बचपन की ओर लौटते हैं और देखते हैं कि …. बचपन के खेल निराले थे…… Read More
हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत हिल-स्टेशन धर्मशाला की चर्चा या तो एक लुभावने पर्यटन-स्थल के तौर पर होती है या फिर दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित क्रिकेट स्टेडियम के कारण। लेकिन बीते कुछ बरसों में धर्मशाला एक और कारण से… Read More
कच्चे हैं हम, मगर सच्चे हैं हम, प्यारे-प्यारे छोटे बच्चे हैं हम…2 गुलशन में कितने ही रंग से खिले, माला में गुंथे बड़े अच्छे हैं हम। कच्चे हैं हम मगर सच्चे हैं हम। भारत की हम शान बनें, मान और… Read More