उपन्यास का शीर्षक नींद क्यों रात भर नही आती, ग़ालिब की रचना “कोई उम्मीद बर नही आती, कोई सूरत नज़र नही आती, मौत का एक दिन मुअय्यन है, नींद क्यों रात भर नही आती” से उद्धृत है। यह उपन्यास इंसान… Read More

उपन्यास का शीर्षक नींद क्यों रात भर नही आती, ग़ालिब की रचना “कोई उम्मीद बर नही आती, कोई सूरत नज़र नही आती, मौत का एक दिन मुअय्यन है, नींद क्यों रात भर नही आती” से उद्धृत है। यह उपन्यास इंसान… Read More
जबसे इस धरती पर जीवन की उत्पत्ति हुई है, तब से किसान खेती करके खाद्य-सामग्री उत्पादित कर रहे हैं। यानी किसान ही सारी दुनिया के लिए भोजन हेतू खाद्यान्न, फल, सब्जियां और चारे का उत्पादन करते आ रहे हैं। इन… Read More
चाहे हो दिव्यांगजन, चाहे हो अछूत, कोई ना रहे वंचित सबको मिले शिक्षा कोई ना मांगे भिक्षा। दुनिया की भूख मिटाने वाला, किसान कभी ना करे आत्महत्या। किसी पर कर्ज़ का ना बोझ हो सबके चेहरे पर नई उमंग और… Read More
प्यार को प्यार से जाने तो, कोई बात होती है। दिल को दिल से जानो तो, कोई बात होती है। मैं कैसे समझूँ की तू, मुझको चाहती है। कुछ तो दे दो इशारा तुम, अपनी आँखों से।। जब भी देखता… Read More
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) का 50वां संस्करण गोआ में बड़ी धूमधाम से संपन्न हुआ। 20 नवंबर की शाम करण जौहर के संचालन और अमिताभ बच्चन व रजनीकांत जैसे दो महानायकों की उपस्थिति में इस समारोह की रंगारंग शुरूआत हुई… Read More
विद्यासागर की वाणी सुनो। ज्ञान अमृत का रसपान करो। ज्ञानसागर दिव्य ध्वनि सुनो। जैन धर्म का पालन करो। विद्यासागर की वाणी सुनो।। आज हम सबका यह पुण्य है। मिला है हमें मनुष्य जन्म। किये पूर्व में अच्छे कर्म। इसलिए मिला… Read More
कुछ तो बात है उनमें, तभी लोग उनके हो जाते है। अपने अपने प्यार का इजहार करने, गुलाब का फूल लेकर, बार बार सामने जाते है। भले ही कुछ बोल न सके, पर अपनी बात गुलाब दिखकर समझते है। और… Read More
हँसता हुआ चेहरा, प्यारा लगता है। तेरा मुझे देखना, अच्छा लगता है। घायल कर देती है तेरी आँखे और मुस्कान। जिसके कारण पूरा दिन, सुहाना लगता है।। जिस दिन दिखे न तेरी एक झलक। तो मन उदास सा, हो जाता… Read More
इन दिनों देश के अलग-अलग हिस्सों में ढेरों फिल्म समारोह आयोजित किए जाने लगे हैं। लेकिन इनमें से कुछ एक ही हैं जिन्होंने अपने अलग-से विषयों के चलते देश-विदेश में पहचान हासिल की है। ऐसा ही एक फिल्म समारोह है… Read More
“नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही “ जी नहीं ये किसी हारे या हताश राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता की पीड़ा या उन्माद नहीं है। बल्कि हाल के दिनों में तीन सौ… Read More