चाहे हो दिव्यांगजन,
चाहे हो अछूत,
कोई ना रहे वंचित
सबको मिले शिक्षा
कोई ना मांगे भिक्षा।
दुनिया की भूख मिटाने वाला,
किसान कभी ना करे आत्महत्या।
किसी पर कर्ज़ का ना बोझ हो
सबके चेहरे पर नई उमंग और ओज हो।
ना कोई ऊंचा
ना कोई नीचा
सब जीव समान हो
हम सब भी समान हो।
ना कोई बनिया नाजायज ब्याज ले,
ना कोई कन्यादान के संग दहेज ले,
कोई बहू-बेटी पर्दे में ना रहे,
सबको दुनिया की असलीयत दिखती रहे।
कोई ना स्त्री को हीन माने
वह साहस की ज्वाला है।
अब तक वह चुप रही
तो हुआ यह,
सिर्फ मानवता की हीनता,
और हैवानियत का चरमोत्कर्ष।
अब सब कुरीतियों-असमानताओं को मिटाना है,
मानवता और विश्व शांति लाना है।