गीत : दिल की बेचैनी

न दिल मेरा लग रहा,  न मन मेरा लग रहा। एक अजब सी बेचैनी, मेरे दिलमें हो रही है। करु तो क्या करूँ में, दिल की बेचैनी के लिए। यदि हो कोई इलाज तो, मेरे जान तुम बता दो।। कब… Read More

spring thunder

झारखंड के सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर कब्जा करने के लिए ‘स्प्रिंग थंडर’

छोटा नागपुर 54 करोड़ वर्ष पुराने , हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों से घिरे इस प्लेटियू को पूरी दुनिया लोहा, कॉपर, यूरेनियम जैसे मिनरल्स के लिए जानती है। जहाँ लगातार हो रहे खनन के लिए चाहिए जमीन, लेकिन जंगल, पहाड़, नदी… Read More

गीत : देखो दुनियाँ वालो

हा हा कार मचा चारो ओर, देख रही दृश्य ये दुनियां। फिर भी लोगो के दिलो में, जिंदा बची है मानवता।। दूरी बनाकर लोगों की, लोग ही कर रहे है मदद। क्या छोटा क्या बड़ा यहां पर, सबको एक सा… Read More

व्यंग्य : मेहँदी लगा कर रखना

“मैं इसे शोहरत कहूँ, या अपनी रुस्वाई कहूँ, मुझसे पहले उस गली में, मेरे अफसाने गये” अपनी तारीफ सुनने से वंचित और और अति व्यस्त रहने  वाली नये वाले  लिटरैचर विधा की मशहूर भौजी ने खाली बैठे बैठे उकताकर अपनी … Read More

कविता : पिता क्या होते हैं?

अंदर ही अंदर घुटता है। पर ख्यासे पूरा करता है। दिखता ऊपर से कठोर। पर दिलसे नरम होता है। ऐसा एक पिता होता है।। कितना वो संघर्ष है करता। पर उफ किसी से नहीं करता। लड़ता है खुद जंग हमेशा।… Read More

कविता : भावनाओं से मत खेलो

न राम चाहिए, न श्याम चाहिए। हम लोगो को तो, कोरोना से निजात चाहिए। है कोई ऐसा मंत्र, अब तांत्रिकों पर। जो इसका बीमारी का इलाज कर सके।। भविष्यवाणी करने वालो, कहा पर तुम सब सो गये। क्या अब कोरोना… Read More

कविता : जय श्री राम

त्याग का पर्याय  प्रतीक शौर्य का  पुरुषों में उत्तम संहर्ता क्रौर्य का परहित प्रियता  भ्राताओं में ज्येष्ठ  कर्तव्य परायण नृप सर्वश्रेष्ठ शरणागत वत्सल  हैं आश्रयदाता  दशरथ नंदन भाग्य विधाता भजे मुख मेरा  तेरा ही नाम  जय सिया राम जय श्री… Read More

लेख : मार्च महीना और महामारी…!!

 आमतौर पर मार्च का महीना साल का सबसे तनावपूर्ण महीना माना जाता है क्योंकि इस महीने में अधिकतम निजी व्यावसायिक कंपनियों में वर्ष समाप्ति का काम ज़ोरो पर होता है और कर्मचारियों पर काफी दबाव भी रहता है, रही बात… Read More

कविता : कुछ दिन

जहाँ से इसकी शुरुआत हुई उस शहर का नाम वुहान है, आज महामारी बन चुका है ये और चपेट में सारा जहान है। दफ्तर बन्द हो गए सभी और सड़के भी वीरान है, घरों में दुबक चुके हैं लोग और… Read More

कविता : यकीन

मुसीबत का पहाड़,  कितना भी बड़ा हो। पर मन का यकीन, उसे भेद देता है। मुसीबतों के पहाड़ों को, ढह देता है। और अपने कर्म पर, जो भरोसा रखता है।। सांसारिक उलझनों में,      उलझा रहने वाला इंसान। यदि… Read More