घने-गहरे जंगल से गुजरती है पगडंडी कुछ बिखरे पत्तों की सरसराहट पहिये की गति भारी है तरुशिखा पर सुनहरी-आभा-सी डोलती घने जंगलों की छिद्रित परछाइयाॅ-सी मुसकुराकर बोलती रंग-बिरंगे पंखों की फड़फड़ाहट कुछ घरौंदों से उभरती चहचहाहट मृदंग-सी कलकल करती चंचल-अल्हड़… Read More
