जबसे इस धरती पर जीवन की उत्पत्ति हुई है, तब से किसान खेती करके खाद्य-सामग्री उत्पादित कर रहे हैं। यानी किसान ही सारी दुनिया के लिए भोजन हेतू खाद्यान्न, फल, सब्जियां और चारे का उत्पादन करते आ रहे हैं। इन… Read More
माँ की शिक्षा : बचपन Vs 2019
Happy Children’s Day to All … क्योंकि हम सब अपनी माँ के लिए बच्चे ही तो हैं और हमेशा बच्चे ही रहेंगे। तो आइए आज बचपन की ओर लौटते हैं और देखते हैं कि …. बचपन के खेल निराले थे…… Read More
बच्चों को सही शिक्षा दें
आज बाल दिवस के अवसर पर सबसे पहले सभी बच्चों को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं। माँ बाप का परम कर्तव्य बनता है की वो अपने बच्चों को सही तालीम के साथ संस्कार और ज्ञान दे, ताकि आने वाले समय… Read More
गुरुनानक जयंती विशेष : सतगुरु नानक प्रगटिया
10 वें सिक्ख गुरूओं के प्रथम गुरू गुरुनानक सिक्ख पंथ के संस्थापक थे। जिन्होंने धर्म में एक नई लहर उत्पन्न की । सिख गुरूओं में प्रथम गुरू नानक का जन्म 1469 में लाहौर के निकट तलवंडी (ननकाना साहिब पाकिस्तान) में… Read More
शारदा सिन्हा की राह पर मैथिली ठाकुर
इस चित्र को जल्दबाजी में तुलना मत समझ लीजियेगा। सालों बाद फिजां में सुरों की नई बयार चली है। जिसका जिक्र और स्वागत जरूरी है। तकरीबन चालीस साल से बिहार ही नहीं बल्कि देश, दुनिया में शारदा सिन्हा के सुर… Read More
बाजार की जद में है प्रकृति उपासना का पर्व छठ
उत्तर भारत में प्रकृति की उपासना का सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा को माना जा सकता है। दीपावली के बाद यदि किसी पर्व में उत्तर भारतीयों का उत्साह बना रहता है तो वह छठ पूजा ही है। कहने के लिए… Read More
खरना का प्रसाद
अभी थोड़ी देर पहले पटना उतरा। उतरते कुछ दूर पैदल चलते एक टैम्पू को हाथ दे रोका। फिर 300 सौ से बात शुरु हो, एतना नही, तब छोड़ीये, भक्क नही, जाईए, नहीं होगा, नय सकेंगे की जिरह करते करते 130… Read More
अखण्ड भारत : राष्ट्रीय एकता दिवस 2019
जय हिन्द जय अखण्ड भारत देश मेरा आजाद हुआ जब रियासत रजवाड़ों में बिखरा था पटेल जी के अथक प्रयासों से तब एकीकृत हो निखरा था पाँच सौ बासठ रियासतों को नायक ने एक एक जोड़ लिया जूनागढ़ के संग… Read More
छठ पर्व और आस्था
आस्था से बढ़ कर कुछ भी नहीं। जिसकी जिसमें आस्था उसे वहीं से सब कुछ मिलता है। धन्ने जट्ट ने इसी आस्था के बल पर काले पत्थर में से भगवान को प्रकट हो कर सूखी रोटियां खाने पर मजबूर कर… Read More
बैल दिवाली
बैल-दीवाली, बिन बैल है खाली, आओ मनाएं हम सूनी दीवाली । कोना भी सूना है,आँगन भी रूना है, माँ और बेटे की हर बात है खाली । कृषक-भाई (बैल ) ठोकर ही खाए है, कृषक के लिये है कहाँ खुशहाली… Read More