आस्था से बढ़ कर कुछ भी नहीं। जिसकी जिसमें आस्था उसे वहीं से सब कुछ मिलता है। धन्ने जट्ट ने इसी आस्था के बल पर काले पत्थर में से भगवान को प्रकट हो कर सूखी रोटियां खाने पर मजबूर कर दिया था। इसी आस्था ने मीरा को हमेशा के लिए कृष्ण का बना दिया, इसी आस्था ने टूटतों को बल दिया है, सूखे दरख्तों को भी फल दिया है।
इसी तरह हमारी आस्था छठ पर्व में है, वो भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि अटूट। इस आस्था ने हमें क्या दिया है उसकी अनगिनत कहानियां आपको हमारे गांव देहातों में सामने से देखने सुनने को मिल जाएंगी। ये पर्व हमारे लिए केवल कुछ दिन का त्योहार नहीं है, ये हम लोगों की हिम्मत, टूटते मन का विश्वास है, जीवन की उम्मीद है । किसी मुसीबत में फंसे होने पर जब हर दर से जबाव मिल चुका होता है, उम्मीद टूट चुकी होती है तब छठी मईया का आसरा ही होता है हमें । हम मांगते नहीं बस उन्हें याद कर के रो देते हैं। कोई अपना जब मौत के करीब बढ़ रहा होता है तो उसकी निरोग काया के लिए हमें बस मईया से गुहार लगानी होती है । ये पर्व ना होता, हमारी आस्था ना होती तो शायद कितने लोग तो निराश हो कर ही खुद को खत्म कर चुके होते।
दुनिया उगते सूरज को सलाम करती है लेकिन हमारी वंदना पहले ढलते सूरज के सामने होती है । इस आस्था की ताकत क्या है ये आपको वो मां बताएगी जिसकी सूनी कोख के कारण कभी उसे ताने सुनने पड़ते थे लोकिन इसी आस्था ने उसे धैर्य दिया और समय ने उसकी गोद भर दी । इस आस्था की ताकत वो बाप बताएगा जिसका बच्चा हर रोज़ मौत के करीब बढ़ता जा रहा था लेकिन फिर एक दिन अचानक ही चमत्कार हुआ और बच्चा धीरे धीरे ठीक होने लगा । इस आस्था की ताकत आपको वो परिवार बताएगा जिसका कोई सहारा नहीं बचा था लेकिन फिर भी वे खड़े हुए । ऐसे अनगिनत प्रमाण हैं इस आस्था की ताकत के।
यहां कोई जादू नहीं होता ये कमाल केवल विश्वास और आस्था का है । विश्वास आपको उम्मीद देती है, यही उम्मीद धैर्य रखना सिखाती है और यही धैर्य आपका हर काम बनाता है । आस्था यूं ही नहीं जगती इसके लिए अटूट विश्वास चाहिए । अगर आप मानते हैं कि ये होगा, आपका ईश्वर आपकी सहायता करेगा तो करेगा, शक़ की कोई जगह नहीं होनी चाहिए । ये विश्वास बना रहना चाहिए। ये पर्व हमारे इसी विश्वास को बनाए रखता है।
लोग अपनी गांव की मिट्टी को छोड़ दूर किसी अन्य प्रदेश में आने पर भी इस पर्व का उत्साह कम नहीं होने देते । उन्हें विश्वास है हमेशा से कि हम जहां से शुरु करेंगे छठी माता वहीं से हमारे साथ रहेंगी, हमारी सहायता करेंगी । मां को भी कई साल हो गये छठ व्रत करते हुए । जितनी श्रद्धा से हो पाता है उतनी श्रद्धा से करते हैं। बहुत उतार चढ़ाव देखे लेकिन ये आस्था बनी रही और हमेशा बनी रहेगी।
आप भी जिन्हें मानते हैं उनमें आपनी आस्था को मजबूत करिए। नहीं किसी को मानते, नास्तिक हैं तो इंसानियत में आस्था जगाइए, इससे बढ़ कर कुछ भी नहीं। हां और आस्था तथा कट्टरता में फर्क समझिए।
आज छठ व्रत का दूसरा दिन था, खरना। छठी मईया से अपने सभी जानने वालों के लिए सुख शांति मांगे हैं। सबसे ज़्यादा प्रार्थना की है उस मां जैसी आंटी के लिए जिन्हे इस समय दुआओं की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है । हर साल इस दिन वो साथ होती थीं लेकिन इस बार एक हादसे के कारण हॉस्पिटल में हैं । मैं जानता हूं अगले छठ में वो हमारे साथ होंगी । कहा ना ये पर्व उम्मीदों और विश्वास का पर्व है। मां छठी उन्हें जल्दी ही स्वस्थ करेंगी ये मेरा विश्वास कहता है।
बाक़ी प्रसाद भी खाए हैं और अब कल संझिया घाट का इंतज़ार कर रहे हैं । छठी मईया आप सबका कल्याण करें, प्यार बना रहे, विश्वास बना रहे, आस्था बनी रहे।

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