जय हिन्द जय अखण्ड भारत
देश मेरा आजाद हुआ जब
रियासत रजवाड़ों में बिखरा था
पटेल जी के अथक प्रयासों से
तब एकीकृत हो निखरा था
पाँच सौ बासठ रियासतों को
नायक ने एक एक जोड़ लिया
जूनागढ़ के संग हैदराबाद
जम्मू-काश्मीर ने मुह मोड़ लिया
पहली दो रियासत को तो
सेना ने फिर मजबूर किया
भारत में विलय होने को
पहली दोनों ने मंजूर किया
सियासत ने जम्मू काश्मीर को
फिर एकीकरण से दूर किया
पटेल की अखण्ड राष्ट्र मंशा में
बहुत बड़ा नासूर किया
तबसे सोचा राष्ट्र अभी तक
किस दिन ये उदबोधन होगा
अखण्ड देश की परिभाषा का
बिल्कुल सच सम्बोधन होगा
बेटे हैं पराये मेरे ही मुझसे
मेरे देश की धरती कहती थी
इस आग को 70 साल से अपने
सीने पर रखकर जलती थी
होकर प्रफुल्लित कहते सब
नव भारत का विस्तार हुआ
एक राष्ट्र एक ध्वजा-प्रधान देश
यह सपना अब साकार हुआ
अब पूरे अखण्ड राष्ट्र में बस
जय हिन्द का ही वन्दन होगा
सूर्यपुत्र की राजधानी में भी
अब नहीं करुण क्रन्दन होगा
जो फूलों की घाटी बदली थी
रक्तिम झेलम की सरिता में
अब वसुधा के स्वर्ग में भी
माँ भारती का ही वन्दन होगा
इस देवभूमि के नीलाम्बर में
फहरेगा तिरंगा फहर फहर
चिल्लाते भेड़िये हुए शान्त
अब सिंहों का बस गर्जन होगा।

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