wo kisi k nahi hote

ग़ज़ल : वो किसी के नहीं होते

जो सबके होते हैं वो किसी के नहीं होते लोग दिखते हैं जैसे अक्सर वैसे नहीं होते मेरे जैसे दिलफेंक भी होते हैं कुछ शायर ग़ज़ल लिखने वाले सब दिलजले नहीं होते इब्तिदा-ए-इश्क़ में होते हैं वैसे आशिक़ जिनके ख़त… Read More

kafan mohabbat ki

ग़ज़ल : कफ़न उड़ा जाते तो क्या जाता

मेरी मौत पे अफ़सोस,जता जाते तो क्या जाता, अपने हाथों से कफ़न,उड़ा जाते तो क्या जाता। आँखें खुली रखी थीं यारा सिर्फ तेरे वास्ते मैंने, खुदा के वास्ते दीदार,करा जाते तो क्या जाता। जानता हूँ मैं कि हर चीज़ मिलती… Read More

ghazab ki tapish

गज़ल : गज़ब की तपिश

रुख हवाओं का ऐसे बदलने लगा सोना शीशे के साँचे में ढलने लगा लोग करने लगे कत्ल लग कर गले स्वार्थ रिश्तों को जमकर निगलने लगा देखकर उनकी रोटी परेशान हूँ दाल गलने लगी, मुल्क जलने लगा अब अँधेरे के… Read More

zindagi

ग़ज़ल : ज़िंदगी

नकाब पर नकाब है, जनाब जिंदगी काटों भरा गुलाब है, जनाब जिंदगी दिन में दिखा देती है अँधेरा आजकल अजीब आफ़ताब है, जनाब जिंदगी अकसर मिला करती है बेवफाई बेशुमार कहने को लाजवाब है, जनाब जिंदगी दलान से दहलीज़ और… Read More

sadgi samajh baithe

ग़ज़ल : सादगी समझ बैठे

वो मुस्कराये क्या, कि हम आशिक़ी समझ बैठे हम तो मौत के सामान को, ज़िन्दगी समझ बैठे ये ख़ुदा का कुफ़्र था, या फिर नादानियाँ हमारी, कि धुप अंधेरों को यारो, हम चांदनी समझ बैठे न समझ पाए हम, उसके… Read More

cahat

ग़ज़ल : चाहत की इस दुनिया में

चाहत की इस दुनिया में, केवल व्यापार मिले मुझको चाहा जिसे फूलों की तरह, उससे ही खार मिले मुझको कैसे जिया और कैसे मरा हूँ, किसी को कोई गरज़ नहीं, दिल में घुस के आघात करें, कुछ ऐसे यार मिले… Read More

kaya karoge tume mere janaze me aakar ghazal

ग़ज़ल : क्या करोगी तुम मेरे जनाज़े में आ कर

क्या करोगी तुम मेरे जनाज़े में आ कर, न रोना तुम कभी भी यूं छुप छुपा कर। रख लेना दिल में दफन ये राज़ तुम भी, हम भी रखतें थे चांद पहलू में छुपा कर। यूं तो खामोश ही रह… Read More

makbare hain yein

ग़ज़ल : मकबरे हैं यें

ज़िंदा दिखते मगर मरे हैं ये कुछ लगाकर हरे-हरे हैं ये मीठी बातों से संभलकर रहिए मन में कड़वा ज़हर भरे हैं ये गले लगकर के गला काटेंगे घात विश्वास में करे हैं ये मन मुताबिक हैं आपकी बातें जाने… Read More

Pata nahi calta

गजल : पता नहीं चलता

चिकनी चुपड़ी बातों से, फ़ितरत का पता नहीं चलता, अंदर क्या और बाहर क्या है, इसका पता नहीं चलता। जो मीठेपन का लेप चढ़ा कर, प्यारी सी बातें करते हैं, कब कटुता का वो रंग दिखा दें, इसका पता नहीं… Read More

hamein khona nahin aata

ग़ज़ल : हमें खोना नहीं आता 

हम कैसे बताएं यारो कि, हमें रोना नहीं आता यूं खामखा पलकों को, हमें भिगोना नहीं आता सहते रहें हैं यारों के सितम हम तो बस यूं ही, अकारण बीज नफ़रत के, हमें बोना नहीं आता अच्छा है कि कर… Read More