जो सबके होते हैं वो किसी के नहीं होते लोग दिखते हैं जैसे अक्सर वैसे नहीं होते मेरे जैसे दिलफेंक भी होते हैं कुछ शायर ग़ज़ल लिखने वाले सब दिलजले नहीं होते इब्तिदा-ए-इश्क़ में होते हैं वैसे आशिक़ जिनके ख़त… Read More

जो सबके होते हैं वो किसी के नहीं होते लोग दिखते हैं जैसे अक्सर वैसे नहीं होते मेरे जैसे दिलफेंक भी होते हैं कुछ शायर ग़ज़ल लिखने वाले सब दिलजले नहीं होते इब्तिदा-ए-इश्क़ में होते हैं वैसे आशिक़ जिनके ख़त… Read More
मेरी मौत पे अफ़सोस,जता जाते तो क्या जाता, अपने हाथों से कफ़न,उड़ा जाते तो क्या जाता। आँखें खुली रखी थीं यारा सिर्फ तेरे वास्ते मैंने, खुदा के वास्ते दीदार,करा जाते तो क्या जाता। जानता हूँ मैं कि हर चीज़ मिलती… Read More
रुख हवाओं का ऐसे बदलने लगा सोना शीशे के साँचे में ढलने लगा लोग करने लगे कत्ल लग कर गले स्वार्थ रिश्तों को जमकर निगलने लगा देखकर उनकी रोटी परेशान हूँ दाल गलने लगी, मुल्क जलने लगा अब अँधेरे के… Read More
नकाब पर नकाब है, जनाब जिंदगी काटों भरा गुलाब है, जनाब जिंदगी दिन में दिखा देती है अँधेरा आजकल अजीब आफ़ताब है, जनाब जिंदगी अकसर मिला करती है बेवफाई बेशुमार कहने को लाजवाब है, जनाब जिंदगी दलान से दहलीज़ और… Read More
वो मुस्कराये क्या, कि हम आशिक़ी समझ बैठे हम तो मौत के सामान को, ज़िन्दगी समझ बैठे ये ख़ुदा का कुफ़्र था, या फिर नादानियाँ हमारी, कि धुप अंधेरों को यारो, हम चांदनी समझ बैठे न समझ पाए हम, उसके… Read More
चाहत की इस दुनिया में, केवल व्यापार मिले मुझको चाहा जिसे फूलों की तरह, उससे ही खार मिले मुझको कैसे जिया और कैसे मरा हूँ, किसी को कोई गरज़ नहीं, दिल में घुस के आघात करें, कुछ ऐसे यार मिले… Read More
क्या करोगी तुम मेरे जनाज़े में आ कर, न रोना तुम कभी भी यूं छुप छुपा कर। रख लेना दिल में दफन ये राज़ तुम भी, हम भी रखतें थे चांद पहलू में छुपा कर। यूं तो खामोश ही रह… Read More
ज़िंदा दिखते मगर मरे हैं ये कुछ लगाकर हरे-हरे हैं ये मीठी बातों से संभलकर रहिए मन में कड़वा ज़हर भरे हैं ये गले लगकर के गला काटेंगे घात विश्वास में करे हैं ये मन मुताबिक हैं आपकी बातें जाने… Read More
चिकनी चुपड़ी बातों से, फ़ितरत का पता नहीं चलता, अंदर क्या और बाहर क्या है, इसका पता नहीं चलता। जो मीठेपन का लेप चढ़ा कर, प्यारी सी बातें करते हैं, कब कटुता का वो रंग दिखा दें, इसका पता नहीं… Read More
हम कैसे बताएं यारो कि, हमें रोना नहीं आता यूं खामखा पलकों को, हमें भिगोना नहीं आता सहते रहें हैं यारों के सितम हम तो बस यूं ही, अकारण बीज नफ़रत के, हमें बोना नहीं आता अच्छा है कि कर… Read More